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Last Updated : मंगलवार, 17 जुलाई 2018 (16:03 IST)

विंबलडन : दुनिया की सारी मां की तरफ से खेली सेरेना

विंबलडन : दुनिया की सारी मां की तरफ से खेली सेरेना - kerber beats serena williams wimbledon
शनिवार को सेरेना की हार से ज्यादा कर्बर जीती थी। यह बिलकुल सही है की सेरेना ने 10 महीनों पहले एक बच्चे को जन्म दिया है। वे इसके बावजूद विंबलडन के फाइनल में खेल रही हैं तो जरूर उनमें और उनके खेल में खास बात तो है। इसलिए वे 23 ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट जीतीं भी हैं।
 
 
सेरेना प्रेग्नेंट होने के बावजूद भी ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट जीत चुकीं हैं और शनिवार को ग्रैंड स्लैम जीतने के करीब थी। जबकि बच्चे को जन्म देने के बाद जोकोविच की पत्नी के अनुसार चलना फिरना भी मुश्किल होता है। सेरेना विंबलडन के फाइनल में थी। यह सारी बातें और सेरेना का यह कहना की वे दुनिया की सारी मां की तरफ से खेल रही हैं। यह उनको किसी कहानी के हीरो जैसा जरूर बनाती हैं।


महिलाओं के टेनिस के हिसाब से देखा जाए तो समझा जा सकता है की खिलाडियों को खुद पर विश्वास बनाए रखने के लिए कोई कारण ढूंढना कितना मुश्किल होता होगा। ऐसे में कर्बर ने सेरेना को फाइनल में हराकर जरूर खिलाडियों को एक अच्छा कारण दिया है। 
 
मैच के पहले ही गेम में सेरेना की सर्विस ब्रेक करके कर्बर ने अपने इरादे जाहिर कर दिए थे। उन्होंने सेरेना को पूरे कोर्ट को नपवा दिया था। ड्रॉप शॉट्स से सेरेना का गुस्सा इतना बढ़ गया था की ड्रॉप शॉट को उन्होंने कर्बर की बॉडी की तरफ पूरी ताकत से मारा था। जिससे कर्बर भी हैरान थीं क्योंकि सेरेना उनको अपना दोस्त बताती आई हैं और ऐसे शॉट दुश्मनी में भी मारे नहीं जाते हैं। पूरे मैच में सेरेना ने कई गलतियां की कुछ ऐसी थीं की जिनकी उनसे होने की उम्मीद कोई नहीं कर सकता है।
 
 
सेरेना ने यह मैच गुस्से में ही खेला जो उनके खिलाफ ही रहा। अगर वे खुद को सेरेना समझ कर नहीं खेलती तो मैच टक्कर का रहता। कर्बर ने इस बात को अच्छी तरह समझ लिया था। उन्होंने अपने ड्रॉप शॉट्स खेलना जारी रखा और सेरेना को गुस्से में रखना भी।
 
बोरिस बेकर ने इस मैच के पहले हुए जोकोविच और नडाल के मैच के समय कहा था की सेरेना और कर्बर को यह मैच देखना चाहिए ताकि वे इस मैच से इंस्पायर हो सके और लगता है कि वो मैच सिर्फ कर्बर ने ही देखा। वैसे सेरेना और कर्बर दोनों को किसी और इंस्पिरेशन की जरूरत शायद नहीं हो मगर कल जोकोविच और नडाल के मैच ने कईयों को इंस्पायर किया होगा।

 
यह मैच शनिवार को रात 11 बजे बाद विंबलडन में खेल बंद करने के नियमों के चलते रोका गया था। क्योंकि यह मैच शुरू बंद रूफ में हुआ था इसलिए आज भी इसे बंद रूफ में ही खेला गया। वैसे अगर दोनों खिलाडी सहमत होते तो इसे रूफ खुल सकती थी। मगर जोकोविच के अनुसार इस बारे में उनसे पूछा ही नहीं गया था। नडाल इस बात से नाराज जरूर थे मगर जोकोविच को इससे कोई दिक्कत नहीं थी।
 
नडाल का फेडरर के खिलाफ सफल होने के पीछे का मुख्य कारण उनका फेडरर की कमजोरी यानी उनके बैकहैंड पर ज्यादा खेलाना रहा है। नडाल लगभग हर शॉट को फेडरर के बैकहैंड पर खेला सकतें हैं। उनकी गलतियों पर पॉइंट्स कमाते रहे हैं। मगर जोकोविच की तकनीक काफी अलग है। वो आपकी ताकत को ही कमजोर बना देतें हैं और इससे दिमाग में हर शॉट खेलने से पहले आने वाला संदेह ही जोकोविच को जीता देता हैं।

 
नडाल के खिलाफ भी उन्होंने ऐसा ही किया। नडाल का बैकहैंड शॉट अच्छा आ रहा था तो जोकोविच उनको बैकहैंड पर खेला कर उनसे पॉइंट लेना शुरू किया। फिर नडाल जब ड्रॉप शॉट पर पॉइंट्स कमा रहे थे तो उन्होंने इस ड्रॉप शॉट को उठाने के लिए जोकोविच तैयार थे और ड्रॉप शॉट पर पॉइंट नहीं मिलने का गुस्सा नडाल के हाव भाव में साफ़ झलक रहा था।
 
नडाल अभी तक विंबलडन सेमीफाइनल में नहीं हारे थे। मगर उनके सामने कभी जोकोविच भी नहीं आए थे। नडाल ने मैच में अपना सब कुछ दिया और मैच के बाद भी वे अपने प्रदर्शन से खुश थे। इसका सिर्फ एक ही मतलब है की जोकोविच की वापसी हो गई है। आज एंडरसन के खिलाफ फ़ाइनल में जोकोविच ही खुद को हरा सकतें हैं  नहीं तो इस साल का विंबलडन उनका ही है।