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Written By WD Sports Desk
Last Updated : बुधवार, 4 सितम्बर 2024 (12:42 IST)

400 मीटर ट्रैक में ब्रॉन्ज जीतने वालीं दीप्ति के मां बाप हैं दिहाड़ी मजदूर

दीप्ति को पेरिस पैरालंपिक की महिला 400 मीटर टी20 स्पर्धा में कांस्य पदक

400 मीटर ट्रैक में ब्रॉन्ज जीतने वालीं दीप्ति के मां बाप हैं दिहाड़ी मजदूर - Deepthi Jeevanji wins historic bronze in Women’s 400M T20 in Paralympics
विश्व चैंपियनशिप की स्वर्ण पदक विजेता भारत की दीप्ति जीवनजी ने मंगलवार को यहां पेरिस पैरालंपिक की एथलेटिक्स की महिला 400 मीटर टी20 स्पर्धा में 55.82 सेकेंड के समय के साथ कांस्य पदक जीता।इसी महीने 21 बरस की होने वाली दीप्ति यूक्रेन की यूलिया शुलियार (55.16 सेकेंड) और विश्व रिकॉर्ड धारक तुर्की की आयसेल ओंडर (55.23 सेकेंड) के बाद तीसरे स्थान पर रहीं।

शुलियार ने तीन साल पहले तोक्यो पैरालंपिक में रजत पदक जीता था।दीप्ति मई में जापान में विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में शीर्ष स्थान हासिल करने के बाद पेरिस पैरालंपिक में स्वर्ण पदक की मजबूत दावेदार के रूप में आई थीं। उन्होंने विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 55.07 सेकंड का तत्कालीन विश्व रिकॉर्ड बनाया था।
ओंडर ने सोमवार को हीट के दौरान 54.96 सेकेंड के समय के साथ दीप्ति का विश्व रिकॉर्ड तोड़ा था। वह मई में 2024 विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में दीप्ति के बाद दूसरे स्थान पर रही थी।

टी20 श्रेणी बौद्धिक रूप से कमजोर खिलाड़ियों के लिए है।तेलंगाना के वारंगल जिले के कल्लेडा गांव में दिहाड़ी मजदूर माता-पिता के घर पैदा हुई दीप्ति पैरालंपिक की ट्रैक स्पर्धा में प्रीति पाल के बाद पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय बन गईं।
रविवार को प्रीति ने इतिहास रचा था जब वह पैरालंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला ट्रैक एवं फील्ड एथलीट बन गई थीं। 23 वर्षीय प्रीति ने 200 मीटर टी35 श्रेणी में 30.01 सेकेंड के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय के साथ कांस्य पदक जीता। उन्होंने शुक्रवार को 100 मीटर टी 35 श्रेणी में भी कांस्य पदक जीता था।

अपने पहले पैरालिंपिक में दीप्ति का कांस्य, पैरा एथलेटिक्स में भारत का छठा पदक है।दीप्ति को स्कूल स्तर की एथलेटिक्स प्रतियोगिता में उनके एक शिक्षक द्वारा देखे जाने के बाद बौद्धिक रूप से कमजोर होने का पता चला।

बड़े होने पर उनकी इस कमजोरी के कारण उन्हें और उनके माता-पिता को उनके गांव के लोगों के ताने सुनने पड़े। हालांकि पिछले साल एशियाई पैरा खेलों में स्वर्ण जीतने और इस साल मई में पैरा विश्व चैंपियनशिप में विश्व रिकॉर्ड तोड़कर एक और स्वर्ण पदक जीतने के बाद से यही गांव जश्न मना रहा है।
इससे पहले भाग्यश्री जाधव महिलाओं की एफ34 महिला गोला फेंक के फाइनल में पांचवें स्थान पर रहीं।पैरालंपिक में दूसरी बार हिस्सा ले रही भाग्यश्री ने गोले को 7.28 मीटर की दूरी तक फेंका लेकिन यह पोडियम पर जगह दिलाने के लिए नाकाफी था।

चीन की लिजुआन झोउ ने 9.41 मीटर के सत्र के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ स्वर्ण पदक जीता जबकि पोलैंड की लुसीना कोर्नोबीस ने 8.33 मीटर के प्रयास से रजत पदक अपने नाम किया।

महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले की रहने वाली 39 साल की भाग्यश्री 2006 में दुर्घटना के बाद अपने पैरों का इस्तेमाल नहीं कर पाती। इस घटना के बाद वह अवसाद में चली गईं थी और परिवार तथा मित्रों के उत्साहवर्धन के बाद पैरा खेलों से जुड़ी। (भाषा)