अमित शाह के 'स्नान' पर किसान संघ ने जताई आपत्ति
उज्जैन। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह के सामाजिक समरसता स्नान पर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के बाद आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ ने भी आपत्ति जताई है।
भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभाकर केलकर ने रविवार को यहां कहा कि सामाजिक समरसता स्नान के कारण सामाजिक विभेद बढ़ेगा। केलकर उज्जैन में भाकिसं द्वारा आयोजित किसान सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने भाजपा अध्यक्ष का नाम लिए बगैर कहा कि समरसता स्नान की घोषणा से ऐसा लगता है, जैसे इससे पहले सिंहस्थ में दलित वर्ग के साथ भेदभाव किया जा रहा था जबकि वास्तविकता यह है कि आज तक किसी अन्नक्षेत्र या स्नान में किसी की भी जाति नहीं पूछी जाती और बिना किसी भेदभाव के सभी कार्यक्रम हो रहे हैं।
केलकर ने कहा कि सिंहस्थ एक धार्मिक और आध्यात्मिक उत्सव है, लेकिन धार्मिक आयोजन पर भी राजनीतिक कब्जे का प्रयास होने लगा है। यहां नेताओं के इतने फोटो लगाए गए हैं, मानो यह कोई राजनीतिक कार्यक्रम हो। हर नेता अपना फोटो लगाकर लोगों को सिंहस्थ में आमंत्रण दे रहा है जबकि लोग यहां अपनी आस्था के कारण आ रहे हैं।
उज्जैन के पास ही आयोजित होने वाले वैचारिक कुंभ पर भी केलकर ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सिंहस्थ में विभिन्न धर्मगुरु आगामी 12 वर्षों के लिए धर्मोपदेश देते हैं। इस कुंभ के अलावा किसी अन्य आयोजन को कुंभ की उपमा देना भी उचित नहीं है।
केलकर ने कहा कि भारतीय किसान संघ देश के किसानों को निराशा से उबारने के काम में लगा है। किसानों में निराशा का भाव है और वे खेती छोड़ने के बारे में सोचने लगे हैं।
उन्होंने कहा कि नेताओं को अपने फोटो लगाने और अन्य कार्यक्रमों से फुर्सत नहीं मिल रही है तथा किसानों के प्रति निरंतर उपेक्षा बरती जा रही है। प्याज उत्पादक किसानों की दुर्दशा पर ध्यान देने को कोई तैयार नहीं है।
उन्होंने किसानों से आव्हान किया कि वे संघर्ष के लिए तैयार रहें। बिना संघर्ष के उनकी समस्याएं हल नहीं होंगी। (वार्ता)