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पितृपक्ष की कथा : इस कहानी को पढ़े बिना पितृ पक्ष का पुण्य नहीं मिलेगा

पितृपक्ष की कथा : इस कहानी को पढ़े बिना पितृ पक्ष का पुण्य नहीं मिलेगा - pitru paksha katha 2022
Story Of Mahabharat Karn
 

श्राद्ध पर्व पर यह कथा अधिकांश क्षेत्रों में सुनाई जाती है। इस कहानी को पढ़े बिना पितृ पक्ष का पुण्य नहीं मिलता है, ऐसी मान्यता है।
 
इस कथा के अनुसार, महाभारत के दौरान, कर्ण (Karn ki Kahani) की मृत्यु हो जाने के बाद जब उनकी आत्मा स्वर्ग में पहुंची तो उन्हें बहुत सारा सोना और गहने दिए गए। कर्ण की आत्मा को कुछ समझ नहीं आया, वह तो आहार तलाश रहे थे।
 
उन्होंने देवता इंद्र से पूछा कि उन्हें भोजन की जगह सोना क्यों दिया गया। 
 
तब देवता इंद्र ने कर्ण को बताया कि उसने अपने जीवित रहते हुए पूरा जीवन सोना दान किया लेकिन अपने पूर्वजों को कभी भी खाना दान नहीं किया। 
 
तब कर्ण ने इंद्र से कहा उन्हें यह ज्ञात नहीं था कि उनके पूर्वज कौन थे और इसी वजह से वह कभी उन्हें कुछ दान नहीं कर सकें। 
 
इस सबके बाद कर्ण को उनकी गलती सुधारने का मौका दिया गया और 16 दिन के लिए पृथ्वी पर वापस भेजा गया, जहां उन्होंने अपने पूर्वजों को याद करते हुए उनका श्राद्ध कर उन्हें आहार दान किया। तर्पण किया, इन्हीं 16 दिन की अवधि को पितृ पक्ष कहा गया। अत: इस कथा को पढ़ने अथवा सुनने का बहुत महत्व है। 

 
 
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