चतुर्दशी श्राद्ध का महत्व, जानिए किनके लिए और कैसे करते हैं श्राद्ध?
24 सितंबर 2022 शनिवार के दिन चतुर्दशी का श्राद्ध है। इसके बाद 25 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध रखा जाएगा। किसी कारणवश जवान मौत हो जाती है जो इस मौत को अकाल अर्थात असमय हुई मृत्यु कहते हैं। चाहे वह हत्या, आत्महत्य या किसी प्रकार की दुर्घटना हो। यह भी हो सकता है कि किसी गंभीर रोग के कारण असमय ही देहांत हो गया हो। यदि आपके घर में किसी की अकाल मृत्यु हुई है तो उसका श्राद्ध कब और कैसे करना चाहिए? जानिए-
- जिनकी मृत्यु डूबने, शस्त्र घात, विषपान या अन्य कारणों से हुई हो, उनका चतुर्दशी के दिन श्राद्ध करते हैं।
- चतुर्दशी का श्राद्ध उन जवान मृतकों के लिए किया जाता है जो असमय ही मृत्यु को प्राप्त हो गए हैं।
- यदि तिथि ज्ञान नहीं हो तो सर्वपितृ अमावस्या पर इनका श्राद्ध कर सकते हैं।
- आश्विन माह की चतुर्दशी तिथि को स्नानादि के बाद श्राद्ध के लिए भोग तैयार करें।
- इस दिन पंचबलि का भोग लगता है। इसमें गाय, कुत्ता, कौआ और चींटियों के बाद ब्राह्मण को भोज कराने की परंपरा होती है।
- इस दिन अंगुली में दरभा घास की अंगूठी पहनें और भगवान विष्णु और यमदेव की उपासना करें।
- इस दिन पवित्र धागा पहनने का भी रिवाज है, जिसे कई बार बदला जाता है। इसके बाद पिंडदान किया जाता है।
- तर्पण और पिंडदान करने के बाद ब्राह्मण या गरीबों को यथाशक्ति दान दें।