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Written By ND

निवेशक व प्रमोटर्स के लिए लाभकारी है बाय-बैक

निवेशक प्रमोटर्स बाय-बैक
-सीए हिमांशु कंसल

व्यवसाय बढ़ाने के लिए कंपनियाँ पब्लिक इश्यू द्वारा प्राइमरी बाजार से पूँजी इकट्ठा करती हैं। इस प्रक्रिया में कंपनी को धनराशि मिलती है और इस रकम के बदले आवेदकों को कंपनी के शेयर अलॉट किए जाते हैं। बाय-बैक में इसका ठीक उल्टा किया जाता है- कंपनी शेयरधारकों से अपने शेयर खरीदती है तथा उन्हें निर्धारित रकम लौटाती है। प्रायः कंपनियॉं बाय-बैक का भाव, बाजार में ट्रेड हो रहे उनके शेयर-मूल्य से अधिक निश्चित करती है और इस प्रकार शेयरधारकों को मुनाफा कमाने का अवसर मिलता है।

बाय-बैक के कारण
कंपनी द्वारा बाय-बैक प्रस्ताव देने की अनेक वजहें हो सकती हैं-

* व्यापार/एक्स्ट्रा-आर्डिनरी प्रॉफिट (आसाधारण आय) से उत्पन्न अत्यधिक फ्री कैश का उपयोग।

* कारोबार बढ़ाने के अवसरों के अभाव में शेयर होल्डर्स को पूँजी वापसी का निर्णय।

* प्रमोटर होल्डिंग प्रतिशत में वृद्धि।

* कंपनी के शेयर का वेल्यूएशन बढ़ाने का प्रयास।

बाय-बैक के नियम
सेबी गाइड लाइंस के अनुसार कंपनियॉं बाय-बैक के लिए स्टॉक एक्सचेंज से प्रत्यक्ष खरीदी, बुक-बिल्डिंग या टेंडर मैथड अपना सकती हैं। कंपनी अपनी पेड-अप इक्विटी कैपिटल तथा फ्री रिजर्व की अधिकतम 25 प्रतिशत राशि बाय-बैक के लिए इस्तेमाल कर सकती है। शेयर बाय-बैक के पश्चात कंपनी द्वारा उन शेयरों को रद्द करना अनिवार्य है।

बाय-बैक के परिणाम
* पेड-अप इक्विटी कैपिटल में कटौती।
* बुक-वेल्यू में कमी (यदि बाय-बैक भाव बुक-वेल्यू से अधिक हो)।
* प्रति शेयर आय (ईपीएस) में बढ़ोतरी।
* रिटर्न ऑन इक्विटी प्रतिशत में वृद्धि।

वर्तमान परिदृश्य
भारतीय कॉर्पोरेट इतिहास में कई कंपनियॉं शेयरधारकों को बाय-बैक प्रस्ताव दे चुकी हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज, बजाज ऑटो जैसी ब्लूचिप कंपनियों ने भी समयानुसार इस प्रावधान का लाभ उठाया है। इस क्रम को आगे बढ़ाते हुए हाल ही में हिन्दुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड तथा अबॉट इंडिया लिमिटेड जैसी अग्रणी कंपनियों ने बाय-बैक ऑफर की घोषणा की है।

भारतीय शेयर बाजार में हिन्दुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड (एचयूएल) को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। बरसों से यह कंपनी फण्ड मैनेजरों तथा संस्थागत निवेशकों की पसंदीदा रही है। बहुराष्ट्रीय कंपनी यूनीलीवर पीएलसी की यह 51 प्रतिशत सबसीडियरी, इस देश में लिस्टेड एफएमसीजी कंपनियों में सर्वोच्च स्थान रखती है। इस कंपनी के ब्राण्ड (लक्स, सर्फ, ब्रुक-ब्राण्ड, लक्मे, पेप्सोडेंट, अन्नपूर्णा, किसान, क्वालिटी-वॉल्स आदि) घर-घर में इस्तेमाल किए जाते हैं। हिन्दुस्तान यूनीलीवर का भारत में वितरण नेटवर्क तथा 'रूरल रीच' बेजोड़ है।

अबॉट इंडिया लिमिटेड, अबॉट लैबोरेटरीज यूएसए की 65 प्रतिशत सबसीडियरी है। यह फार्मास्युटिकल कंपनी बीएसई पर लिस्टेड है। इसका आधुनिक प्लांट गोआ में है। इस कंपनी के प्रमुख ब्राण्ड डाइजीन एवं ब्रूफेन है। इससे पहले भी यह कंपनी दो बार (वर्ष 2003 तथा 2007) में सफलतापूर्वक बाय-बैक पूर्ण कर पेड-अप इक्विटी कैपिटल 16.2 करोड़ रुपए से घटाकर 14.47 करोड़ रुपए कर चुकी है। गत 6 महीनों में कंपनी द्वारा यह दूसरा बाय-बैक प्रस्ताव है।

दीर्घावधि के निवेशक इन दोनों कंपनियों के शेयर होल्ड कर सकते हैं, क्योंकि मूलभूत रूप से ये दोनों कंपनियॉं बहुत मजबूत हैं। शुद्ध लाभ में वृद्धि के साथ उदार लाभांश देने वाली ये कंपनियॉं पोर्टफोलियो को स्थिरता प्रदान करती हैं। शॉर्ट-टर्म निवेशकों को वर्तमान शेयर-मूल्य तथा बाय-बैक भाव में उपजे आर्बिटे्रज का लाभ उठाना चाहिए।

महत्वपूर्ण वित्तीय आँकड़
विवरणहिन्दुस्तान यूनीलीवरअबॉट इंडिया
वर्तमान शेयर भाव (रु.)213.95 (07 सितंबर 2007)571.50 (07 सितंबर 2007)
बाय-बैक प्रस्ताव (रु.)230.00650.00
फेस वेल्यू (रु.)1.0010.00
बुक वेल्यू (रु.)12.30 (31 दिसंबर 2006)156.60 (30 नवंबर 2006)
प्रति शेयर आय (रु.)8.41 (31 दिसंबर 2006)39.18 (30 नवंबर 2006)
पेड-अप इक्विटी कैपिटल (करोड़ रु.)220.70 (30 जून 2007)14.47 (31 मई 2007)
बाय-बैक की कुल राशि (करोड़ रु.)630.0051.83
पीई अनुपात25.5614.55


प्रकाशित लेखों के विचार से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। उनमें दी गई सलाह या दिशा-निर्देश भी लेखकों के अपने हैं, अतः उनके लिए वेबदुनिया उत्तरदायी नहीं है। निवेशकों से अनुरोध है कि वे सोच-समझकर निर्णय लें। - प्र.सं.