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Written By ND
Last Modified: मुंबई , रविवार, 26 अगस्त 2007 (17:47 IST)

अमेरिकी सबप्राइम संकट से सर्वाधिक प्रभावित जापान व भारत के बाजार

अमेरिकी सबप्राइम जापान भारत बाजार
अमेरिकी बाजार में सबप्राइम संकट से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले देशों में भारत एवं जापान शामिल हैं। चुनिंदा एशियाई एवं योरपीय बाजारों पर किए गए एक अध्ययन के अनुसार गत एक माह में जापान के शेयर सूचकांक निक्कई एवं भारत के सेंसेक्स में अमेरिकी संकट की वजह से क्रमशः 12.4 प्रश एवं 10.13 प्रश की गिरावट आई है। इसके विपरीत संकट के जनक देश अमेरिका में डो जोन्स इंडस्ट्रीयल एवरेज सूचकांक में एक माह में मात्र 5.49 प्रश की ही गिरावट रही।

अमेरिकी संकट के परिणामस्वरूप विदेशी संस्थागत निवेश के मामले में सबसे बुरा असर भारत, ताईवान, कोरिया एवं थाईलैंड पर प़ड़ा है। भारतीय बाजार में ही 25 जुलाई तक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने नकद बाजार में 9741.40 करो़ड़ रु. एवं डेरिवेटिव्ज वर्ग में लगभग 3132.06 करो़ड़ रु. की बिकवाली कर दी थी। इस घबराहट भरी बिकवाली में हेज फंड भी शामिल हो गए।

यह समस्या तब शुरू हुई, जबकि ब़ड़े हेज फंडों ने अमेरिकी सबप्राइम बाजार में हानि उठाने के बाद इसकी भरपाई के लिए भारत सहित अन्य देशों के बाजारों में बिकवाली प्रारंभ की। इससे सबसे अधिक नुकसान जापानी शेयर बाजार को हुआ है, जहाँ येन के उतार-च़ढ़ावों ने बाजारों को हिला दिया। चीन का अमेरिका के साथ व्यापार काफी अधिक है, परंतु चीन अमेरिकी प्रभाव से अपनी अर्थव्यवस्था को बचाए रखने में सफल रहा है।

गत एक माह में चीनी शेयर बाजारों में 22 प्रश की वृद्धि दर्ज की गई है। चीनी बाजारों में विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिए मनचाहे समय पर धन वापस निकालने पर प्रतिबंध है। यहाँ विदेशी निवेशकों को एक न्यूनतम समयसीमा तक निवेश बनाए रखना जरूरी है व इससे पहले निवेशक अपना धन वापस नहीं ले सकता है।

वर्ष 2006 में अमेरिका में गृह ऋण चूककर्ताओं की ब़ढ़ती संख्या ने संकट का आभास दे दिया था, जो वर्ष 2007 में भयावह रूप में सामने आया।