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Jagannath rath yatra 2023 : जगन्नाथ मंदिर कितना प्राचीन है और क्या है इसकी पौराणिक कथा?

Jagannath rath yatra 2023 : जगन्नाथ मंदिर कितना प्राचीन है और क्या है इसकी पौराणिक कथा? - How ancient is the temple of Jagannath
jagannath puri : ओडिशा के पुरी में स्थिति जगन्नाथ मंदिर दुनिया के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इसकी भव्यता अन्य मंदिरों की अपेक्षा बहुत ज्यादा प्रभावी है और इस मंदिर से जुड़े कई चमत्कार आज भी भक्तों के द्वारा देखे जा सकते हैं। यह मंदिर कितना प्राचीन है इस मंदिर से जुड़ी क्या है पौराणिक कथा? आओ जानते हैं संक्षिप्त में।
 
जगन्नाथ मंदिर की प्राचीनता : वर्तमान में जो मंदिर है वह 7वीं सदी में बनवाया था। हालांकि इस मंदिर का निर्माण ईसा पूर्व 2 में भी हुआ था। यहां स्थित मंदिर 3 बार टूट चुका है। 1174 ईस्वी में ओडिसा शासक अनंग भीमदेव ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था। मुख्‍य मंदिर के आसपास लगभग 30 छोटे-बड़े मंदिर स्थापित हैं। ब्रह्म और स्कंद पुराण के अनुसार यहां भगवान विष्णु पुरुषोत्तम नीलमाधव के रूप में अवतरित हुए और सबर जनजाति के परम पूज्य देवता बन गए। 
 
इस मंदिर का सबसे पहला प्रमाण महाभारत के वनपर्व में मिलता है। कहा जाता है कि सबसे पहले सबर आदिवासी विश्‍ववसु ने नीलमाधव के रूप में इनकी पूजा की थी। आज भी पुरी के मंदिरों में कई सेवक हैं जिन्हें दैतापति के नाम से जाना जाता है।
jagannath mandir
जगन्नाथ मंदिर की पौराणिक कथा : जब सतयुग में मालव प्रदेश के राजा इंद्रद्युम ने जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां बनवाई तो रानी गुंडिचा ने मूर्तियां बनाते हुए मूर्तिकार विश्वकर्मा और मूर्तियों को देख लिया जिसके चलते मूर्तियां अधूरी ही रह गई तब आकाशवाणी हुई कि भगवान इसी रूप में स्थापित होना चाहते हैं। इसके बाद राजा ने इन्हीं अधूरी मूर्तियों को मंदिर में स्थापित कर दिया। उस वक्त भी आकाशवाणी हुई कि भगवान जगन्नाथ साल में एक बार अपनी जन्मभूमि मथुरा जरूर आएंगे। स्कंदपुराण के उत्कल खंड के अनुसार राजा इंद्रद्युम ने आषाढ़ शुक्ल द्वितीया के दिन प्रभु के उनकी जन्मभूमि जाने की व्यवस्था की। तभी से यह परंपरा रथयात्रा के रूप में चली आ रही है।
 
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