मंगलवार, 5 नवंबर 2024
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कश्मीर भारतीय साम्राज्य का सबसे प्राचीन राज्य क्यों है?

ancient kashmir | कश्मीर भारतीय साम्राज्य का सबसे प्राचीन राज्य क्यों है?
हिमालय से लगे लगभग सभी राज्य और देश प्राचीन भारत का हिस्सा रहे हैं जिसमें भारतीय राज्य कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल के अलावा नेपाल, तिब्बत और भूटान नाम के तीन देशों का भी पुराण और वेदों में स्पष्ट उल्लेख मिलता है। तिब्बत को वेद और पुराणों में त्रिविष्टप कहा गया है। वहीं पर किंपुरुष नामक देश के होने का भी उल्लेख मिलता है।
 
 
माना जाता है कि कश्यप ऋषि के नाम पर ही कश्मीर का प्राचीन नाम था। समूचे कश्मीर पर ऋषि कश्यप और उनके पुत्रों का ही शासन था। कश्यप ऋषि का इतिहास प्राचीन माना जाता है। कैलाश पर्वत के आसपास भगवान शिव के गणों की सत्ता थी। उक्त इलाके में ही दक्ष राजाओं का साम्राज्य भी था। ऋषि कश्यप के पुत्र विस्वान से मनु का जन्म हुआ। महाराज मनु को इक्ष्वाकु, नृग, धृष्ट, शर्याति, नरिष्यन्त, प्रान्शु, नाभाग, दिष्ट, करूष और पृषध्र नामक दस श्रेष्ठ पुत्रों की प्राप्ति हुई।
 
 
मत्स्य पुराण में अच्छोद सरोवर और अच्छोदा नदी का जिक्र मिलता है जो कि कश्मीर में स्थित है।
अच्छोदा नाम तेषां तु मानसी कन्यका नदी ॥ १४.२ ॥
अच्छोदं नाम च सरः पितृभिर्निर्मितं पुरा ।
अच्छोदा तु तपश्चक्रे दिव्यं वर्षसहस्रकम्॥ १४.३ ॥
 
 
काश्मीर भारत का सबसे प्राचीन और प्रथम राज्य है। मरीच पुत्र कश्यप के नाम से पूर्व मेँ कश्यपमर या कशेमर्र नाम था। इससे भी पूर्व मत्स्य पुराण में कहा गया है- मरीचि के वंशज देवताओं के पितृगण जहां निवास करते हैं वे लोग सोमपथ के नाम से विख्यात हैं। यह पितृ अग्निष्वात्त नाम से ख्यात है। जिनके सौन्दर्य से आकर्षित होकर इन्हीँ पितरोँ की मानस कन्या अमावसु नामक पितर युवक के साथ रहना चाहती थी। जिस दिन अमावसु ने अच्छोदा को मना किया। तब से वह तिथि अमावस्या नाम से प्रसिद्ध हुई और अच्छोदा नदी रूप हो गई। अमावस्या तभी से पितरोँ की प्रिय तिथी है।
 
इससे पहले काश्मीर को 'सती 'या 'सतीसर' कहते थे। यहां सरोवर में सती भगवती नाव में विहार करती थीं। इसी बीच कश्यप ऋषि जलोद्भव नामक राक्षस को मारना चाहते थे। वे तपस्या करने लगे। देवताओँ के आग्रह पर पक्षी रूप मेँ भगवती ने सारिका (पक्षी) चोंच में पत्थर रखकर राक्षस को मारा था। राक्षस मर गया। वह पत्थर हरी पर्वत हो गया।
 
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श्रीनगर जिसका पुराना नाम प्रवर पुर है, इसी शहर की दोनों ओर हरीपर्वत और शंकराचार्य पर्वत हैं आद्म शंकराचार्य ने इसी पहाड़ी पर भव्य शिवलिंग, मंदिर और नीचे मठ बनाया। अब सतीसर की बात। प्रकारान्तर से खादनायर (स्थान) केनिकट आई दरार से पूरा पानी निकल गया और भूमि ऊपर आ गयी। ऋषियोँ, मरीचि पितरः तथा कश्यप की इस वास्तविक स्वर्ग भूमि अमरनाथ, बूढा़ अमरनाथ ज्वालादेवी पठानकोट) वैष्णोदेवी, छीरभवानी और अति प्राचीन मार्तण्डमंदिर भी था। मार्तण्ड मंदिर क्षेत्र को 'मटन' गांव कहा जाता है।
 
शंकराचार्य पर्वत के समीप अति प्राचीन दुर्गानाथ मंदिर के विध्वंस के मलबे से ही 'हमदन मस्जिद भी बनाई गई है जो लकडी़ की है। वहां एक बहते जलस्रोत में हिन्दू काली की पूजा करते हैं। प्राचीन कश्मीर के लोग बूढ़े अमरनाथ क्षेत्र में महर्षि पुलस्त्य के भव्य आश्रम में वेद पढ़ते थे। उनके नाम की वालीपुलस्ता नदी आज भी है। जम्मू पठान कोट मार्ग पर पुरमंडल नामक गौरवशाली गयाजी जैसा पवित्र और मान्य श्राद्धक्षेत्र भी है।
 
 
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भारतीय ग्रंथों के अनुसार जम्मू को डुग्गर प्रदेश कहा जाता है। जम्मू संभाग में 10 जिले हैं। जम्मू, सांबा, कठुआ, उधमपुर, डोडा, पुंछ, राजौरी, रियासी, रामबन, किश्तवाड़, भिम्बर, कोटली, मीरपुर, पुंछ हवेली, बाग, सुधान्ती, मुजफ्फराबाद, हट्टियां और हवेली। जम्मू संभाग का क्षे‍त्रफल पीर पंजाल की पहाड़ी रेंज में खत्म हो जाता है। इस पहाड़ी के दूसरी ओर कश्मीर है। कश्मीर का क्षेत्रफल लगभग 16,000 वर्ग किमी है। इसके 10 जिले श्रीनगर, बड़गाम, कुलगाम, पुलवामा, अनंतनाग, कूपवाड़ा, बारामूला, शोपियां, गन्दरबल, बांडीपुरा हैं। लद्दाख एक ऊंचा पठार है जिसका अधिकतर हिस्सा 3,500 मीटर (9,800 फीट) से ऊंचा है। यह हिमालय और काराकोरम पर्वत श्रृंखला और सिन्धु नदी की ऊपरी घाटी में फैला है।
 
 
माना जाता है कि कश्यप ऋषि के नाम पर ही कश्यप सागर (कैस्पियन सागर) और कश्मीर का प्राचीन नाम था। शोधकर्ताओं के अनुसार कैस्पियन सागर से लेकर कश्मीर तक ऋषि कश्यप के कुल के लोगों का राज फैला हुआ था। कश्यप ऋषि का इतिहास प्राचीन माना जाता है। कैलाश पर्वत के आसपास भगवान शिव के गणों की सत्ता थी। उक्त इलाके में ही दक्ष राजा का भी साम्राज्य भी था। जम्मू का उल्‍लेख महाभारत में भी मिलता है। हाल में अखनूर से प्राप्‍त हड़प्‍पा कालीन अवशेषों तथा मौर्य, कुषाण और गुप्‍त काल की कलाकृतियों से जम्मू के प्राचीन इतिहास का पता चलता है।
 
 
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कहते हैं कि कश्यप ऋषि कश्मीर के पहले राजा थे। कश्मीर को उन्होंने अपने सपनों का राज्य बनाया। उनकी एक पत्नी कद्रू के गर्भ से नागों की उत्पत्ति हुई जिनमें प्रमुख 8 नाग थे- अनंत (शेष), वासुकि, तक्षक, कर्कोटक, पद्म, महापद्म, शंख और कुलिक। इन्हीं से नागवंश की स्थापना हुई। आज भी कश्मीर में इन नागों के नाम पर ही स्थानों के नाम हैं। कश्मीर का अनंतनाग नागवंशियों की राजधानी थी।
 
 
राजतरंगिणी तथा नीलम पुराण की कथा के अनुसार कश्‍मीर की घाटी कभी बहुत बड़ी झील हुआ करती थी। कश्यप ऋषि ने यहां से पानी निकाल लिया और इसे मनोरम प्राकृतिक स्‍थल में बदल दिया। इस तरह कश्मीर की घाटी अस्तित्व में आई। हालांकि भूगर्भशास्त्रियों के अनुसार खदियानयार, बारामूला में पहाड़ों के धंसने से झील का पानी बहकर निकल गया और इस तरह कश्मीर में रहने लायक स्थान बने। राजतरंगिणी 1184 ईसा पूर्व के राजा गोनंद से लेकर राजा विजय सिम्हा (1129 ईसवी) तक के कश्मीर के प्राचीन राजवंशों और राजाओं का प्रमाणिक दस्तावेज है।