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Written By भाषा

हाथ नहीं मिल जाएँ दिल भी

28 जून : हैंडशेक दिवस पर विशेष

हैंडशेक दिवस
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हाथ मिलाने को देश दुनिया में एक सामाजिक परंपरा के रूप में देखा जाता है लेकिन अदनी सी दिखती इस औपचारिक प्रक्रिया को अगर गहरे अर्थों में देखा जाए तो पता चलेगा कि यह वह संकेत है जिससे आपसी विश्वास आत्मीयता और आत्मविश्वास का आकलन होता है।

दिल्ली में पर्सनैलिटी डवलपमेंट की कक्षाएँ चलाने वाले अनुज खरे ने बताया कि साक्षात्कार के दौरान साक्षात्कारकर्ता का प्रत्याशी से हाथ मिलाना चयन प्रक्रिया के दौरान प्रत्याशी को परखने का सांकेतिक परीक्षण है।

खरे बताते हैं कि बड़ी कंपनियों में साक्षात्कारकर्ता प्रत्याशी से हाथ मिला कर उसके आत्मविश्वास और कंपनी के प्रति उसके भावी रूख का आकलन करते हैं। इसलिए इस दौरान हाथ मिलाने में गर्मजोशी का प्रदर्शन होना चाहिए क्योंकि कई बार ऐसा भी होता है कि हर स्तर पर प्रत्याशी का प्रदर्शन अच्छा होने के बाद भी प्रत्याशी को हाथ मिलाने के दौरान ठंडी प्रतिक्रिया देने के आधार पर खारिज किया जा सकता है।

कंसल्टेंसी कंपनी सहयरेग के महाप्रबंधक मनोज आहूजा बताते हैं कि वे हमेशा किसी भी क्लाइंट से हाथ मिलाने के दौरान इस बात का ध्यान रखते हैं कि उनकी इस पहल से दूसरी पार्टी को यह अहसास हो जाए कि वह हम पर विश्वास कर सकता है। आहूजा के मुताबिक हाथ मिलाना वह संकेत है जिससे आप पहली बार में ही बिना कुछ कहे किसी का भी दिल जीत सकते हैं।

साक्षात्कार और व्यावसायिक संबंधों के अलावा हाथ मिलाना राजनीतिक दृष्टिकोण से भी बहुत अहम है। राजनीति के क्षेत्र में हाथ मिलाने को दो देशों के बीच अनुबंध शांति समझौते और मित्रता का प्रतीक माना जाता है। राजनीति में हाथ मिलाने का महत्व इस बात से ही समझा जा सकता है कि दुनिया भर में राजनेताओं की आपस में हाथ मिलाने के दौरान की तस्वीरें अखबारों की सबसे ज्यादा सुर्खियाँ बटोरती हैं।

  कई शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि हाथ मिलाने की शुरूआत शांति के प्रतीक के रूप में हुई जिसका अर्थ था कि हाथ मिलाने वाले के पास कोई हथियार नहीं हैं और उस पर विश्वास किया जा सकता है।      
ब्रिटेन और कई यूरोपीय देशों में हाथ मिलाने को सम्मान का भी प्रतीक माना जाता है। भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान अंग्रेज अधिकारी भारतीयों से हाथ मिलाना अपनी शान के खिलाफ समझते थे। ब्रिटेन की महारानी के बारे में आज भी कहा जाता है कि वे बहुत कम लोगों से हाथ मिलाना पसंद करती हैं।

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इतिहास में हालाँकि इस बात के ठीक-ठीक कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं कि हाथ मिलाने की प्रक्रिया की शुरुआत कब से हुई लेकिन इस बात के सबूत हैं कि यह परंपरा दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में भी थी। कई शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया कि पश्चिमी देशों में हाथ मिलाने की शुरुआत 16वीं शताब्दी में ब्रिटिश कोर्ट में सर वाल्टर रालेघ ने की।

कई शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि हाथ मिलाने की शुरूआत शांति के प्रतीक के रूप में हुई जिसका अर्थ था कि हाथ मिलाने वाले के पास कोई हथियार नहीं हैं और उस पर विश्वास किया जा सकता है।

स्रोत : भाष