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Written By भाषा

पूरे वर्ष दुनिया भर में चमके भारतीय

पूरे वर्ष दुनिया भर में चमके भारतीय -
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अमेरिका के राष्ट्रपति अगर अपने देश के बच्चों से कहें कि दिल लगाकर पढ़ो वर्ना भारतीय बच्चा तुमसे आगे निकल जाएगा तो किसी को भारतीय प्रतिभा पर संदेह करने की गुंजाइश बाकी नहीं रहती। इस वर्ष भी भारत में जन्मे लोगों ने दुनिया भर में अपने हुनर और प्रतिभा का लोहा मनवाया।

भारतीय मूल के अमेरिकी विधि विशेषज्ञ नील कुमार कात्याल अमेरिका के कार्यवाहक सॉलिसिटर जनरल के रूप में नियुक्त किए गए। अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय के लिए राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा निवर्तमान सॉलिसिटर जनरल एलेना कागन को नामित किए जाने के कारण खाली हुए इस पद पर नील कात्याल की कार्यवाहक सॉलिसिटर जनरल की नियुक्ति की गई। ज्ञात हो कि सॉलिसिटर जनरल अमेरिकी प्रशासन का सबसे बड़ा वकील होता है, जो सर्वोच्च न्यायालय में सरकार की तरफ से मुकदमे की पैरवी करता है।

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आठ जनवरी को वाशिंगटन में भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक राजीव शाह ने ‘यूएस एड फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट’ (यूएसएआईडी) के प्रशासक के तौर पर शपथ ली।

राजीव शाह किसी राष्ट्रपति के प्रशासन में इस सर्वोच्च रैंक वाले पद पर पहुँचाने वाले भारतीय मूल के व्यक्ति हैं। भारतीय मूल के इस 39 वर्षीय नागरिक को विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने यूएसएआईडी के अध्यक्ष पद की शपथ दिलाई।

इस पद पर शाह अमेरिका के विदेशी सहायता कार्यक्रम के तहत 40 अरब डॉलर की राशि का प्रबंधन संभाल रहे हैं और ओबामा प्रशासन की ओर से पाकिस्तान, अफगानिस्तान सहित अन्य देशों को असैन्य सहायता के प्रयासों की अगुवाई कर रहे हैं।

कुआलालंपुर में चार दिसंबर को भारत की निकोल फारिया ने ‘मिस अर्थ टैलेंट 2010' का खिताब जीता। फारिया ने वियतनाम के हो ची मिन्ह सिटी में आयोजित एक सौंदर्य प्रतियोगिता में 17 प्रतिभागियों को मात देकर ‘मिस अर्थ टैलेंट 2010’ का खिताब जीता।

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बेंगलूर की रहने वाली 20 साल की फारिया ने एक ऐसे शो में ‘मिस अर्थ टैलेंट 2010’ का ताज पहना जिसमें ओरिएंटल और पश्चिम एशियाई स्टाइल में बेली डाँस का आयोजन किया गया। भारतीय मूल के पत्रकार टुंकू वरदराजन को न्यूजवीक पत्रिका में बतौर अंतरराष्ट्रीय संपादक नियुक्त किया गया।

ब्रिटेन की प्रतिष्ठित पॉलिटिकल स्टडीज एसोसिएशन ने अनिवासी भारतीय शिक्षाविद्‍ लार्ड भीखू पारेख को ‘ग्रेट ब्रिटिश पॉलिटिकल फिलॉस्फर्स ऑफ द ट्वेंटीथ सेंचुरी’ के लिए चुना है। इसी के साथ 75 वर्षीय पारेख हारोल्ड लास्की, इसैया बर्लिन, आर.एच. ताहने और माइकल ओकेशोट जैसे दिग्गज दार्शनिकों की सूची में शामिल हो गए हैं। लार्ड पारेख को बहुसंस्कृति, पहचान एवं राजनीतिक दार्शनिक के अध्ययन के लिए जाना जाता है।

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पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह को इस साल दक्षिण एशियाई क्षेत्र में शांति के दूत सम्मान से नवाजा गया। लंदन स्थित संगठन पीस इंटरनेशनल ने दक्षिण एशिया में शांति बहाली के प्रयासों के तहत सिंह को यह सम्मान प्रदान किया।

जानी-मानी भारतीय समाज सेविका ईला रमेश भट्ट को इस साल के लिए जापान के प्रतिष्ठित निवानो शांति पुरस्कार के लिए चुना गया है। उन्हें भारत में गरीब महिलाओं के उत्थान में योगदान के लिए चुना गया है।

भट्ट महात्मा गाँधी की शिक्षाओं का पालन करने और विगत तीन दशकों से अधिक समय से भारत में दबी-कुचली तथा बिल्कुल गरीब महिलाओं के विकास के लिए काम करने के लिए जानी जाती हैं।

भट्ट ने 1972 में सेल्फ एम्प्लायड एसोसिएशन (सेवा) नाम की एक ट्रेड यूनियन स्थापित की। फिलहाल इसके सदस्यों की संख्या 12 लाख है। उन्होंने 1974 में सेवा सहकारी बैंक की स्थापना की। वह राज्यसभा सदस्य भी रह चुकी हैं।

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ब्रिटेन स्थित लीसेस्टर के मिडलैंड कस्बे के निवासी भारतीय मूल के मधुमेह विशेषज्ञ कमलेश खुंटी को ब्रिटेन के सर्वाधिक प्रभावशाली चिकित्सकों में से एक का सम्मान दिया गया। एक प्रमुख साप्ताहिक मेडिकल प्रकाशन ‘पल्स’ में प्रकाशित एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में खुंटी को मौजूदा 20 सर्वश्रेष्ठ जनरल प्रेक्टीश्नर में शीर्ष स्थान पर रखा गया है।

कैंब्रिज विश्वविद्यालय में भारतीय मूल के प्रोफेसर शंकर बालासुब्रमण्यम को नॉन-क्लीनिकल लाइफ साइंसेज में अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिए ब्रिटेन की प्रमुख वित्त एजेंसी ‘बायोटेक्नोलॉजी एंड बायोलॉजिकल साइंसेज रिसर्च काउंसिल’ की ओर से ‘इनोवेटर ऑफ दी ईयर’ पुरस्कार से नवाजा गया।

बालासुब्रमण्यम को यह पुरस्कार तेज गति की जीनोम सिक्वेंसिंग ‘सॉलेक्सा सिक्वेसिंग’ पर उनके काम के लिए दिया गया है। इस क्षेत्र में उनके योगदान के बाद अब 10,000 अमेरिकी डॉलर से भी कम में मानव जीनोम की सिक्वेंसिंग मुमकिन होगी।

ब्रिटेन में रह रही भारतीय वकील पवनी रेड्डी को वर्ष 2010 के लिए श्रेष्ठ एशियाई महिला का स्वर्ण पुरस्कार प्रदान किया गया। पवनी जईवाला एंड कंपनी की प्रबंध भागीदार हैं। वह उन चुनिंदा भारतीय वकीलों में से एक हैं जो इस क्षेत्र की सुखिर्यों में रहती हैं। (भाषा)