विश्व में राजतंत्र, धर्मतंत्र, साम्यवाद, कंपनीतंत्र और तानाशाही के बीच भारत में मौजूद गणतंत्र अर्थात लोकतंत्र। बहुत से लोग चाहते हैं कि धर्म का शासन होना चाहिए और बहुत से लोग चाहते हैं कि कम्युनिस्टों का शासन होना चाहिए। जैसा कि चीन या उत्तर कोरिया में है। परंतु एक सभ्य और स्वतंत्र समाज के लिए लोकतंत्र क्यों जरूरी है?
1. जनता द्वारा स्थापित शासन : गणतंत्र, लोकतंत्र या जनतंत्र सभी का मतलब होता है लोकतंत्र जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन। मतलब यह कि जनता द्वारा स्थापित शासन जो जनता के मूल अधिकारों की रक्षा करे। इसमें जनता ही तय करती है कि हमारा नेता कैसा होगा।
2. न्यायपालिका : गणतंत्र का सबसे मजबूत आधार है न्यायपालिका। लोगों का यदि न्यायालय से भरोसा उठ जाता तो एक नए तरह का समाज निर्मित होने लगता है जो अपने फैसले खुद करने लगता है। यह स्थिति अच्छी नहीं मानी जाती है। बिना भेदभाव के सभी के साथ न्याय हो यही लोकतंत्र की मांग है।
3. फ्रीडम ऑफ स्पीच : फ्रीडम ऑफ स्पीच अर्थात अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को हमने लंबे संघर्ष के बाद प्राप्त किया है। आज लोकतंत्र में हर कोई कुछ भी कहने या अपने विचार रखने के लिए स्वतंत्र है परंतु अन्य तरह के तंत्र में यह संभव नहीं है।
4. व्यक्तिगत स्वतंत्रता : लोकतंत्र हमें जीवन जीने के लिए व्यक्तिगत स्वतंत्रता देता है। हम हमारी इच्छा से भोजन, पेय पदार्थ और वस्त्र का चयन कर सकते हैं और हम कहीं भी घूमने के लिए स्वतंत्र हैं। हम पर किसी भी प्रकार की सरकारी पाबंदी नहीं है। हम चाहें तो नियमों के तहत धर्म बदल सकते हैं या हम किसी भी अन्य धर्म में विवाह कर सकते हैं। लोकतंत्र या गणतंत्र इसीलिए है क्योंकि व्यक्ति स्वतंत्र है। व्यक्तिगत स्वतंत्रता बहुत जरूरी है। कोई व्यक्ति किस तरह से जीना चाता है यह राज्य तय नहीं कर सकता। वह किसी भी धर्म का बनकर जी सकता है या नास्तिक बनकर भी मजे से जी सकता है। यह उसकी स्वतंत्रता है कि वह देश में कहीं भी रहकर अपना जीवन यापन कर सकता है। उसकी मर्जी की वह कैसे कपड़े पहने या कैसे नहीं।
5. गुणतंत्र : गणतंत्र में गुणी नेताओं और नौकरशाहों का होना जरूरी है। कलेक्टर, इंजीनियर या डॉक्टर बनने के लिए व्यक्ति को बहुत कुछ पढ़ना, खपना और प्रतियोगी परीक्षाओं को फेस करना होता है परंतु एक नेता बनने के लिए समाज सेवा, देश सेवा करके कर्मवीर बनना होता है और जब एक नेता यह सब कार्य नहीं करके जुगाड़कर करके या साम, दाम, दंड से सत्ता में बैठ जाता है तो तब ऐसे अयोग्य नेता से लोकतंत्र को खतरा महसूस होने लगता है। यह शपथ तो लेते हैं कि मैं भारत की प्रभुता और अखंडता को कायम रखूंगा परंतु क्या ये सभी नेता ऐसा करने में सक्षम हैं? प्राचीनकाल के हमारे संतों ने गुणतंत्र के आधार पर गणतंत्र की कल्पना की थी, लेकिन हमारे इस गणतंत्र में कोई अंगूठा टेक भी प्रधानमंत्री बनकर हमारी छाती पर मूंग दल सकता है। यह हालात किसी तानाशाही तंत्र से भी बुरे हैं।
6. भीड़तंत्र नहीं लोकतंत्र का हिस्सा बनें : भीड़तंत्र के चलते कानून असफल हो रहे हैं। लोग, नेता, पुलिस और मीडिया मनमानी करने लगे हैं। फेक न्यूज का जमाना है। राजनीतिज्ञों, पत्रकारों, वकीलों और माननीय उद्योगपतियों के हाथों में शक्ति है जिसका वे अच्छे और सभ्य तरीके से दुरुपयोग करना सीख गए हैं। वे सीधे-सीधे तानाशाह नहीं है, लेकिन अघोषित रूप से सब कुछ है। सभी मिलकर हवा का रुख बदलना अच्छी तरह जानते हैं, क्योंकि सभी जानते हैं कि भीड़ को जो समझा दिया जाएगा वह वे समझ जाएगी। भीड़ का तो दिमाग होता ही नहीं है। अभी नए तरह की भीड़ अस्तित्व में आई है जिसे सोशल मीडिया कहते हैं। धर्मनिरपेक्ष, राष्ट्रवाद और साम्यवाद तो सिर्फ शब्द भर हैं। ऊपर जाकर सभी की सोच मध्ययुगीन बन जाती है। मीडिया अब पुलिस, जज और वकीलों का काम भी करने लगी है। नेता अपने हित के लिए कुछ भी करने को तैयार है। चुनाव में लाखों रुपया खर्च होता है। जातियां ब्लैकमेल करने लगी है। सभी को चाहिए आरक्षण, सुविधा, धन, ऋण, शक्ति और पद।
लोकतंत्र को मजबूत बनाना है तो जरूरी है कि हम भीड़तंत्र और जातिवादी राजनीति और सोच से मुक्त हो। इसके लिए लोगों को समझना होगा कि जातिवाद हमारे लोकतंत्र के लिए कितना बड़ा खतरा है। किसी भी जाति, धर्म, संगठन या समाज का नेता आपको हांककर सड़क पर ले आता है और आपके दिमाग को एक भीड़ में बदल देता है। फिर उसे भीड़ की भावना को भड़काकर बहुत कुछ किया जा सकता है। सत्ता का खेल इसी तरह संचालित होता है, परंतु इससे आम आदमी का कभी हित नहीं हुआ है।
7. व्यक्तित्व विकास : हमें विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश होने का गर्व है। हमारा लोकतंत्र धीरे-धीरे परिपक्व हो रहा है। हम पहले से कहीं ज्यादा समझदार होते जा रहे हैं। धीरे-धीरे हमें लोकतंत्र की अहमियत समझ में आने लगी है। सिर्फ लोकतांत्रिक व्यवस्था में ही व्यक्ति खुलकर जी सकता है। स्वयं के व्यक्तित्व का विकास कर सकता है और अपनी सभी महत्वाकांक्षाएं पूरी कर सकता है। इसी तंत्र में वैज्ञानिकों का जन्म होता है और दुनिया के बड़े बड़े बिजनेसमेन इसी तंत्र की देन है।
8. तानाशाही से बचें : जो लोग यह सोचते हैं कि इस देश में तानाशाही होना या कट्टर धार्मिक नियम होने चाहिए वे यह नहीं जानते कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान में क्या हुआ। सीरिया, इराक में क्या हुआ। फ्रांस, जर्मन, सोवियत संघ में क्या हुआ। यह भी सोचा जाना चाहिए कि चीन और उत्तर कोरिया में क्या हो रहा है। वहां की जनता खुलकर जीने के लिए तरसती रही है। ये सिर्फ नाम मात्र के देश हैं।
9. बहुलतावादी समाज : जिस देश में कई तरह की जाति और धर्म के लोग रहते हैं वहां पर गणतंत्र का होना अत्यंत ही आवश्यक है। यदि गणतंत्र नहीं रहा तो सामाजिक असमानता के चलते अराजकता और विद्रोह की भावना का विकास होगा।
10. क्यों जरूरी लोकतंत्र : भारत, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया समेत केवल 56 देशों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन किया जाता है। अजरबैजान, बहरीन, बेलारूस, चीन, क्यूबा, एरिट्रिया, ईरान, कजाकिस्तान, कुवैत, लाओस, उत्तर कोरिया, ओमान, कतर, सऊदी अरब, स्वाजीलैंड, सीरिया, तुर्कमेनिस्तान, यूएई, वियतनाम और उज्बेकिस्तान में निरंकुश शासन है। दुनिया का हर तीन में से एक नागरिक साम्यवादी तानाशाही शासन में जी रहा है। इनमें आधे से ज्यादा नागरिक चीनी हैं। कई अफ्रीकी देश ऐसे हैं जहां पर लूटमार मची हुई है। वहां जनता न जी पा रही है और न मर पा रही है। ऐसे में एक मजबूत लोकतंत्र की अहमियत समझ में आती है।