क्या यह स्वप्न साकार हो सकता है? क्या भारतवर्ष के प्रत्येक नागरिक को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय मिल सका है? क्या प्रत्येक भारतवासी को वह स्वतंत्रता प्राप्त है, जिसमें वह अपने विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना के अधिकार का मुक्त प्रयोग कर सके? क्या भारतवर्ष के नागरिकों के बीच ऐसी बंधुता का प्रादुर्भाव हो चुका है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा सुप्रतिष्ठित है और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित है।
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