शुक्रवार, 28 नवंबर 2025
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  4. Why is the religious flag hoisted on the top of the temple, know its history and importance
Written By WD Feature Desk

Flag in Hinduism: मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा क्यों फहराई जाती हैं, जानें इतिहास और महत्व

History of the temple flag
History of the temple flag: मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा फहराने की परंपरा बहुत प्राचीन है। माना जाता है कि मंदिर का शिखर वह सर्वोच्च बिंदु है, जहां से ब्रह्मांडीय ऊर्जा सबसे पहले मंदिर में प्रवेश करती है। ध्वज इस ब्रह्मांडीय ऊर्जा और गर्भगृह में विराजमान ईश्वर की ऊर्जा के बीच एक संपर्क सूत्र (Antenna) की तरह कार्य करता है। लहराता हुआ ध्वज पूरे परिसर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और आस-पास के क्षेत्र को पवित्र बनाता है।ALSO READ: अयोध्या: श्री राम का ध्वजारोहण, सभी अटकलों का विराम
 
आइए सरल शब्दों में समझते हैं मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा क्यों फहराई जाती हैं:
 
इतिहास: मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा (ध्वज/पताका) फहराना एक बहुत पुरानी परंपरा है, और हिंदू धर्म में इसका अत्यंत गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इसके पीछे धार्मिक, दार्शनिक और ऐतिहासिक महत्व जुड़ा हुआ है। इसे केवल एक कपड़ा नहीं, बल्कि दिव्यता, संरक्षण और विजय का प्रतीक माना जाता है। हिंदू शास्त्रों, जैसे गरुड़ पुराण आदि में वर्णन मिलता हैं कि मंदिर के शिखर पर फहराते ध्वज को देवी-देवताओं की उपस्थिति और दिव्य संरक्षण का प्रतीक बताया गया है। 
 
1. मंदिर की पहचान का संकेत: युद्धकाल और यात्राओं के समय ध्वजा एक दिशा-संकेत या मार्गदर्शक की तरह काम करती थी। प्राचीन काल में जब मंदिर विशाल और दूर से दिखाई देने वाली इमारतें नहीं हुआ करती थीं, तब ध्वजा ही मंदिर की पहचान होती थी। ध्वजा को देखकर लोग दूर से ही जान लेते थे कि यहां देवस्थान है।
2. धार्मिक महत्व: आस्था और ऊर्जा का प्रतीक
 
(1) विजय और मंगल का चिह्न: ध्वजा का अर्थ ही है विजय का प्रतीक। मंदिर की ध्वजा इस बात का संकेत है कि यहां धर्म और सदाचार की विजय है।
 
(2) ऊंचाई पर लगाने का आध्यात्मिक अर्थ: ध्वजा को शिखर पर लगाया जाता है, क्योंकि ऊंचाई ईश्वर की सर्वोच्चता को दर्शाती है। ध्वजा हवा के साथ लहराकर सकारात्मक ऊर्जा फैलाने का प्रतीक मानी जाती है।
 
(3) निरंतर गति का संदेश: ध्वजा का लगातार लहराता रहना यह दर्शाता है कि, 'धर्म जीवित है, सक्रिय है और अनवरत चलता रहता है।'
 
3. ध्वजा के रंग और प्रतीक: ध्वज पर अंकित चिह्न, जैसे ॐ, सूर्य, त्रिशूल मंदिर के विराजमान देवता और उनकी महिमा को दर्शाते हैं। इनके भी मायने हैं
 
* भगवा/केसरिया: त्याग, तप, तेज और आध्यात्मिक शक्ति को दर्शाता है।
* लाल रंग: अग्नि देवता या हनुमान जी से संबंध और मां शक्ति के प्रति समर्पण को दिखाता है।
* ध्वजा पर चिह्न: ॐ, त्रिशूल, स्वस्तिक आदि शुभ चिह्न और रक्षात्मक प्रतीक होते हैं। 
 
4. वास्तु और धर्मशास्त्रीय कारण: शास्त्रों में कहा गया है कि, मंदिर का शिखर ब्रह्मस्थान माना जाता है। ध्वजा वहां लगाकर स्थान की शुद्धता और दिव्यता को दर्शाया जाता है। यह स्थान को ईश्वरीय ऊर्जा का केंद्र बनाता है।
 
5. भगवान को सूचना: मंदिर में पूजा जारी है, अन्य धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, ध्वजा यह भी बताती है कि, मंदिर में नियमित पूजा और आराधना होती रहती है। यह स्थान सक्रिय धर्मस्थल है।
 
6. भक्तों के लिए भावनात्मक महत्व: धर्म ध्वजा देखकर भक्तों में, भक्ति की भावना जागृत होती है। आत्मविश्वास और सुरक्षा का भाव मिलता है। 'हम ईश्वर के घर के पास पहुंचे हैं' का सुकून मिलता है। 
 
संक्षेप में यह कहा जा सकता हैं कि मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा इसलिए फहराई जाती है क्योंकि यह मंदिर की पहचान तथा धर्म और विजय का प्रतीक है। यह ध्वजा सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार करती है। ईश्वर की सर्वोच्चता का संकेत है और नियमित पूजा और धार्मिक सक्रियता का सूचक है।

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