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रूप चतुर्दशी मनाने के 5 अलग-अलग तरीके, जानिए

रूप चतुर्दशी मनाने के 5 अलग-अलग तरीके, जानिए - roop chaturdashi information
नरक चतुर्दशी या रूप चतुर्दशी का पर्व दीपावली के एक दिन पहले मनाया जाने वाला त्योहार है, देशभर के अलग-अलग स्थानों पर इसे अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। इस दिन यमराज के नाम से आटे का चौमुखी दीपक जलाने की परंपरा है, माना जाता है कि यमराज अकाल मृत्यु से मुक्ति प्रदान करते हैं।
जानिए कहां-कहां, कैसे मनाई जाती है रूप चतुर्दशी, काली चौदस और क्या है प्रचलित कथाएं-
 
1 मान्यतानुसार इस दिन तिल के तेल से मालिश करके, स्नान करने से भगवान श्रीकृष्ण रूप और सौंदर्य प्रदान करते हैं। आम तौर पर सूर्योदय से पहले उठकर उबटन, तेल व स्नान करना एवं शाम के समय यम का दीपक लगाना, रूप चतुर्दशी पर प्रचलित परंपरा है, जो देश भर के कई हिस्सों में अपनाई जाती है। 
 
2 दक्षिण भारत में इस दिन लोग सूर्योदय से पहले उठकर तेल और कुमकुम को मिलाकर रक्त का रूप देते है। फिर एक कड़वा फल तोड़ा जाता है जो नरकासुर के सिर को तोड़े जाने का प्रतीक होता है। फल तोड़कर कुमकुम वाला तेल मस्तक पर लगाया जाता है। फिर तेल और चन्दन पाउडर आदि मिलाकर इससे स्नान किया जाता है।
 
3 कुछ स्थानों पर भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण करके देवताओं को राजा बलि के आतंक से मुक्ति दिलाई थी। भगवान ने राजा बलि से वामन अवतार के रूप में तीन पैर जितनी जमीन दान के रूप में मांगकर उसका अंत किया था।
 
4 बंगाल में नरक चतुर्दशी का दिन काली चौदस के नाम से जाना जाता है। इस दिन मध्यरात्रि में मां काली का पूजन करने का विधान है। यह दिन महाकाली देवी शक्ति के जन्मदिन के रूप में इसे मनाया जाता है। काली मां की बड़ी-बड़ी मूर्तियां बनाकर पूजा की जाती है। यह आलस्य तथा अन्य बुराईयों को त्याग करने एवं सकारात्मकता बढ़ाने का दिन माना जाता है।
 
5 कार्तिक मास चतुर्दशी पर स्वाति नक्षत्र में हनुमान जी का जन्म हुआ था, हालांकि हनुमान जयंती चैत्र पूर्णिमा के दिन भी मनाई जाती है। इस दिन हनुमान जी की विशेष पूजा भी की जाती है एवं कुछ लोग इस दिन को हनुमान जी का जन्मोत्सव भी मनाते हैं। बचपन में हनुमान जी ने सूर्य को खाने की वस्तु समझ कर अपने मुंह में ले लिया था। इस कारण चारों और अंधकार फैल गया। बाद में सूर्य को इंद्र देवता ने मुक्त करवाया था।