हम सभी के घर में भगवान का मंदिर होता है लेकिन अज्ञानतावश हम कुछ गलतियां कर जाते हैं। प्रस्तुत है कुछ आवश्यक महत्वपूर्ण जानकारियां...
एक घर में कम से कम पांच देवी देवताओं की पूजा होनी ही चाहिए-गणेश,शिव,विष्णु,सूर्य,दुर्गा। किसी भी देव या देवी के पूजन के प्रति संकल्प,एकाग्रता,श्रद्धा होना बहुत ही आवश्यक है।
गृहे लिंगद्वयं नाच्यं गणेशत्रितयं तथा।
शंखद्वयं तथा सूर्यो नार्च्यो शक्तित्रयं तथा॥
द्वे चक्रे द्वारकायास्तु शालग्राम शिलाद्वयम्।
तेषां तु पुजनेनैव उद्वेगं प्राप्नुयाद् गृही॥
अर्थ- घर में दो शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख, दो सूर्य, तीन दुर्गा मूर्ति, दो गोमती चक्र और दो शालिग्राम की पूजा करने से गृहस्थ मनुष्य को अशांति होती है।
शालिग्राम जी की प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती।
- दुर्गा की एक,सूर्य की सात,गणेश की तीन,विष्णु की चार और शिव की आधी ही परिक्रमा करनी चाहिए।
तुलसी के बिना ईश्वर की पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती। तुलसी की मंजरी सब फूलों से बढ़कर मानी जाती है।
अमावस्या,पूर्णिमा,द्वादशी और रात्रि और संध्या काल में तुलसी दल नहीं तोड़ना चाहिए।
प्रतिदिन पंचदेव पूजा अवश्य करनी चाहिए।
यदि कोई मंत्र कंठस्थ न आता हो तो बिना मंत्र के ही जल,चंदन,फूल आदि चढ़ाकर पूजा करनी चाहिए। फूल चढ़ाते समय ध्यान रखें कि उसका मुख ऊपर की ओर हो।
सदैव दाएं हाथ की अनामिका एवं अंगूठे की सहायता से फूल अर्पित करने चाहिए। चढ़े हुए फूल को अंगूठे और तर्जनी की सहायता से उतारना चाहिए।
फूल की कलियों को चढ़ाना मना है,किंतु यह नियम कमल के फूल पर लागू नहीं है।