बिहार विश्व-बंधुत्व के समागम का केंद्र
भारत और तिब्बत में गुरु-शिष्य का रिश्ता
बिहार एक बार फिर आध्यात्मिक चेतना, शांति और विश्व-बंधुत्व के समागम का केंद्र बना। बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने विश्व शांति और बंधुत्व का संदेश देते हुए कहा कि तिब्बत और भारत के रिश्ते प्रारंभ से ही प्रगाढ़ रहे हैं। भारत और तिब्बतियों के बीच गुरु और शिष्य का संबंध रहा है। तिब्बतियों को संरक्षण देने में भारत की अहम भूमिका रही है। धर्मगुरु दलाई लामा गुरुवार को भगवान बुद्ध के 2550वें महापरिनिर्वाण वर्ष के मौके पर बुद्ध स्मृति पार्क के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस मौके पर बुद्ध स्तूप को पाटलिपुत्र करुणा स्तूप नाम दिया। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश को भारत का अभिन्न अंग बताया।
उन्होंने कहा कि यह हमारी विडंबना है कि जिस महाबोधि वृक्ष के नीचे महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ उसका मूल स्वरूप बिहार से ही गायब हो गया था, लेकिन बोधगया के इस महाबोधि वृक्ष के अंश से श्रीलंका में पनपा पौधा एक बार फिर बुद्ध की धरती पार लाया गया है।महाबोधि के इस लघु वृक्ष को उस समय पुरानी जमीन नसीब हुई जब बौद्ध धर्म के शीर्ष गुरु दलाई लामा ने पटना के नवनिर्मित बौद्ध करुणा स्तूप में उसका रोपण किया। सम्राट अशोक के भाई महेंद्र बोधिवृक्ष के मूल अंश से पनपे पौधे को श्रीलंका ले गए थे।