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नयी पौध कैसे समझे परिवार का महत्व?

नयी पौध कैसे समझे परिवार का महत्व? - nayee paudh kaise samajhe parivaar ka mahatav
- कुमार गौरव अजीतेन्दु
 
परिवार हमारे भारतीय समाज की एक ऐसी इकाई है, जिससे मनुष्य को संपूर्ण सहयोग मिलता है। भावनात्मक, आर्थिक, शारीरिक हर प्रकार से हम परिवार में स्वयं को सुरक्षित पाते हैं। मनोवैज्ञानिक भी इस बात से सहमत हैं कि परिवार से मिलने वाला सहयोग मनुष्य को अवसाद जैसे कई मनोविकारों से बचाता है, हमारा ख्याल रखता है। बड़े-बड़े परिवार तो अब कम ही देखने को मिलते हैं। एकल परिवारों का चलन हो चुका है।

ऐसे में जरूरी है कि स्थिति इससे अधिक न बिगड़ने पाएं। विदेशों में जहां लोग बिल्कुल अकेले अपने-अपने फ्लैट्स में रहते हैं, वहां की हालत किसी से छिपी नहीं। अक्सर वैसे में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से लेकर पालतू जानवरों से संवेदना पाने की नौबत आ जाती है। 
 
जरूरी है कि आने वाली पीढ़ी को बचपन से ही परिवार का लाभ न केवल समझाया जाए बल्कि उसे इसकी प्रत्यक्ष अनुभूति भी होनी चाहिए। जितना हो सके, बच्चों के साथ समय गुजारने की आदत रहनी चाहिए। उनकी परेशानियों को हमेशा बचपना समझ कर उपेक्षित मत करें। आजकल का परिवेश भी ऐसा बनाया जा रहा है जिसमें परिवार को उबाऊ, बंधनयुक्त और जबरिया थोपी हुई संस्था बताने का प्रयास हो रहा है। 
 
बच्चों के लिए बनने वाले कार्टून सीरियल्स में सारा एडवेंचर दोस्तों के साथ दिखाया जाता है। बच्चों के मन में बात डाली जाती है कि घर से भागकर दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करना ही असली सुख है। बात यहां दोस्त के महत्व को कम बताने की नहीं लेकिन परिवार का विकल्प होने जैसे गंभीर विषय की है। दोस्त कभी परिवार का विकल्प नहीं बन सकते। अपवाद की बात और है। 
 
अब यहीं पर जिम्मेदारी अभिभावकों पर आ जाती है। हमेशा उपदेशात्मक रहना, रोक-टोक को अपनी आदत बना लेना, पढ़ाई या कोई भी वैसा काम जो आपको अच्छा लगता हो, उसे बच्चों पर थोपना, अपने सपनों का बोझ बच्चों पर अनावश्यक रूप से डालना, आदि ऐसी बातें हैं जो कि बच्चों के लिए घर का माहौल बोझिल बना देती हैं। कहने का अर्थ ये नहीं कि बच्चों को बिगड़ने के लिए छोड़ दें किंतु आपका साथ उन्हें डर महसूस नहीं कराना चाहिए।

 
• परिवार छोटा हो, कोई बात नहीं मगर बच्चों के सामने बड़े परिवार को लेकर नकारात्मक बातें मत करें।
 
• किसी भी संवेदनशील विषय पर उनके सवालों को हड़का के टाल देने से वह और ज्यादा उस विषय पर जानकारी इकट्ठी करते हैं, इसलिए जहां तक ठीक लगे, उनको उत्तर जरूर दें।
 
• बच्चों को उनके दोस्तों से ज्यादा मनोरंजन, सपोर्ट आपसे मिलना चाहिए। 
 
• उनसे ऐसा संबंध रखें कि वे आपसे अपनी हर दिक्कत को साझा कर सकें। खासकर पिताओं को यह बात सीखनी चाहिए।
 
 
• गूगल प्ले स्टोर पर ऐसे कई गेम्स हैं जिनमें परिवार का वातावरण दिखाया जाता है। वैसे गेम्स बच्चों को खेलने के लिए दें। 
 
• बच्चा यदि अपने समान आयु वर्ग की बच्चियों के साथ ज्यादा समय बिताएं तो कहीं न कहीं उसमें शांति, कलात्मकता और पारिवारिक गुणों का विकास ज्यादा होता है, ऐसा मेरा निजी अनुभव है। जिस मनुष्य में स्त्रैण गुण अधिक हों, वह अधिक केयरिंग होता है।

(इस आलेख में व्‍यक्‍त‍ विचार लेखक की नि‍जी अनुभूति है, वेबदुनिया से इसका कोई संबंध नहीं है।)