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Written By मुस्तफा हुसैन
Last Modified: बुधवार, 20 फ़रवरी 2019 (19:42 IST)

50 पैसे किलो में भी नहीं मिला प्याज का खरीददार, उपज मंडी में छोड़ गया किसान

50 पैसे किलो में भी नहीं मिला प्याज का खरीददार, उपज मंडी में छोड़ गया किसान - Onion farmer
नीमच। एक किसान मंडी में करीब 30 क्विंटल प्‍याज लेकर आया था। करीब 2 घंटे बाद व्‍यापारी प्‍याज देखने पहुंचे और प्‍याज लेने से इंकार करते हुए कहा कि यह प्‍याज यदि हम 50 पैसे किलो भी लेंगे तो भी हमें घाटा होगा। इसके बाद गुस्‍साए किसान ने प्‍याज मंडी में छोड़े और गांव के लिए रवाना हो गया।
 
गौरतलब कृषि उपज मंडी में रोजाना जिलेभर के अलावा मध्‍यप्रदेश और राजस्‍थान के कई किसान अपनी उपज देने आते हैं। ऐसे में किसानों को अपनी उपज के सही दाम नहीं मिलने पर निराशा का सामना करना पडता है। ऊपर से आने-जाने का पैसा भी किसानों की जेब से ही खर्च होता है।
 
एक किसान की ऐसी ही आपबीती बुधवार सुबह कृषि उपज मंडी में देखने को मिली। राजस्‍थान की छोटी सादड़ी तहसील के गांव बसेड़ा निवासी किसान सोहनलाल आंजना (35) बुधवार सुबह अपने गांव का एक ट्रैक्टर 1500 रुपए में किराए पर लिया। इसके बाद किसान सोहनलाल ने ट्रैक्टर में करीब 30 क्विंटल प्‍याज भरे और कृषि उपज मंडी के लिए रवाना हुए। किसान सोहनलाल करीब 11 बजे कृषि उपज मंडी पहुंचे और अपनी उपज खाली की।
 
करीब 2 घंटे के इंतजार के बाद दोपहर 1 बजे सोहनलाल के प्‍याज की नीलामी का नंबर आया। मंडी के प्‍याज व्‍यापारी किसान सोहनलाल की उपज के पास पहुंचे, फिर व्‍यापारियों ने किसान सोहनलाल को जो जवाब दिया, उससे सोहनलाल चौंक गया। 
व्‍यापारियों ने किसान सोहनलाल को कहा कि यदि यह प्‍याज हम 50 पैसे किलो भी लेंगे तो हमें उसमें भी घाटा होगा और प्‍याज के ढेर से चले गए। परेशान किसान ने कुछ देर सोच-विचार किया। इसके बाद किसान 30 क्विंटल प्‍याज मंडी में ही छोड़कर अपने गांव के लिए रवाना हो गया।
 
हर किसान अपनी उपज को बच्‍चों की तरह पालता है और फिर मंडी आने के बाद उसे इस तरह की निराशा हाथ लगती है। किसानों की दिनोंदिन परेशानियां कम होने के बजाय बढ़ती नजर आ रही हैं।
 
 
जब हमने किसान सोहनलाल से चर्चा की तो उन्‍होंने बताया कि मैंने पहले ही 1500 रुपए ट्रैक्टर का किराया दिया है।
 
किसान ने कहा कि यदि मैं प्‍याज वापस लाता तो मुझे मजदूर को 300 रुपए और देने होते। उपज के दाम तो मिले नहीं, फिर मजदूरों को पैसे कहां से देता। इसलिए प्‍याज वहीं छोड़ आया। कृषि उपज मंडी में प्‍याज ले जाने से तो अच्‍छा था मेरे गांव में ही पूरा प्‍याज बांट देता। कम से कम दुआ तो मिलती। इस पूरे मामले में जब प्रशासन से बात करने की कोशिश की तो कोई कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं हुआ।