मुंबई की संगत ने कलगीधर ट्रस्ट बड़ू साहिब से प्रेरित होकर बाढ़ पीड़ितों की सेवा का वादा किया
Gurdwara Baru Sahib news: कलगीधर ट्रस्ट, गुरुद्वारा बड़ू साहिब (हिमाचल प्रदेश) की ओर से हर बार की तरह प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए अकाल सेवा टीमें 26 अगस्त से राहत कार्यों में जुट गईं। हाल ही में कलगीधर ट्रस्ट बड़ू साहिब के प्रधान दविंदर सिंह ने भरोसा दिलाया था कि ट्रस्ट यह सुनिश्चित करेगा कि संगत का धन सही तरीके से उपयोग हो और बाढ़ पीड़ितों की सभी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा किया जाए।
पीड़ित परिवारों का सर्वे : उन्होंने बताया कि राहत कार्यों के चौथे चरण में उन परिवारों का सर्वे किया जाएगा, जिनके घर क्षतिग्रस्त हुए हैं और उन्हें या तो नए घर बनाकर दिए जाएंगे या उनके टूटे हुए घरों की मरम्मत करवाई जाएगी। इसी के तहत कलगीधर ट्रस्ट, गुरुद्वारा बड़ू साहिब के उप-प्रधान जगजीत सिंह (काका वीर जी) के नेतृत्व में श्री अमृतसर साहिब जिले के 12 गांवों— लोधी गुजर, पांजू, पांजू कलाल, चंक अल, हरड़ खुर्द, गम चक्क और दुझोवाल— में नए प्री-फैब्रिकेटेड मटीरियल से घर बनाकर सौंपे गए।
जगजीत सिंह बताया कि इन परिवारों के घर बाढ़ के पानी और भारी वर्षा के कारण गिर गए थे। इन परिवारों को रसोई का राशन, बिस्तर, गद्दे, पंखे तथा अन्य घरेलू सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं। इन घरों की चाबियां सौंपने के लिए मुंबई की संगत भी विशेष रूप से पहुंची। उन्होंने ट्रस्ट द्वारा बनाए गए इन नवीन प्री-फैब्रिकेटेड घरों की सराहना की एवं बाढ़ पीड़ितों के लिए किए जा रहे सेवा कार्यों से प्रेरित होकर आगे बढ़कर उनकी सहायता करने का वचन दिया। इस अवसर पर ट्रस्ट के सेवादार और गांवों के सम्मानित व्यक्ति भी उपस्थित थे।
बाढ़ पीड़ितों को सौंपे 35 नए घर : जगजीत सिंह जी ने आगे बताया कि ऐसे प्री-फैब्रिकेटेड मटीरियल से लगभग 35 नए घर बाढ़ पीड़ितों को दिए जा चुके हैं। संस्था का लक्ष्य है कि 100 नए घर (400 से 900 वर्ग फुट) बनाकर 10 दिसंबर तक बाढ़ प्रभावित परिवारों को सौंप दिए जाएं, जो संगत के सहयोग से पूरे किए जाएंगे। उन्होंने अपील की कि ऐसे सेवा कार्यों के लिए संगत का अधिक से अधिक सहयोग आवश्यक है। हर देशवासी का यह कर्तव्य है कि अपने दसवें हिस्से (दशवंध) में से इन प्रभावित परिवारों की सहायता के लिए अवश्य योगदान करें, ताकि उनके टूटे घरों की मरम्मत करवाई जा सके या नए घर बनाए जा सकें। हम सबको इस दिशा में एक कदम अवश्य बढ़ाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि आम आदमी के लिए ऐसी बाढ़ की मार झेलने के बाद आर्थिक रूप से उबरने में लगभग 10 वर्ष लग जाते हैं, और ऐसे में घर मिल पाना एक सपने जैसा होता है। अभी तक लगभग 153 गांवों से 7,500 से अधिक लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। यह भी उल्लेखनीय है कि जब भी देश में कोई प्राकृतिक आपदा आती है, ट्रस्ट की अकाल सेवा टीम निडर होकर तत्परता से राहत कार्यों में जुट जाती है।
Edited by: vrijendra Singh Jhala