कृपालु महाराज के आश्रम में भगदड़, 63 मरे
उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में स्थित कृपालु महाराज आश्रम में गुरुवार को भंडारे के दौरान आश्रम का गेट ढहने से मची भगदड़ में कम से कम 63 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल है इनमें से 28 की हालत गंभीर है। मरने वालों में अधिकतर महिलाएँ एवं बच्चे हैं। हादसे के समय वहाँ लगभग 10 हजार लोग मौजूद थे।कुण्डा के परगनाधिकारी श्यामा चरण ने बताया कि तहसील के मानगढ़ धाम में संत कृपालु महाराज की पत्नी के श्राद्ध के मौके पर आयोजित भंडारे के दौरान अचानक मंदिर का गेट और पंडाल गिर जाने से उसके नीचे दबकर और उसके बाद मची भगदड़ में 37 महिलाओं और 26 बच्चों सहित 63 लोगों की मृत्यु हो गई।गृह विभाग के सूत्रों ने लखनऊ में बताया कि हादसे में अब तक कम से कम 63 लोगों के मरने की सूचना है जिनमें से उनमें 37 बच्चे और 26 महिलाएँ है। उन्होंने बताया कि हादसे में 29 व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हुए हैं जिन्हें प्रतापगढ़ जिला चिकित्सालय एवं इलाहाबाद के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।इस बीच प्रदेश के मंत्रिमंडलीय सचिव शशांक शेखर सिंह ने बताया कि हादसे के बारे में प्राथमिकी दर्ज करके इलाहाबाद के मंडलायुक्त को 24 घंटे के भीतर सारे मामले की जाँच करके अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।मंत्रिमंडलीय सचिव शेखर सिंह ने बताया कि जाँच रिपोर्ट मिल जाने के बाद हताहतों के परिजनों के लिए आर्थिक सहायता के बारे में निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन ने हादसे की जानकारी होते ही मौके पर पहुँच कर बचाव एवं राहत कार्य शुरू कराया और घायलों को प्रतापगढ़ और इलाहाबाद के अस्पतालो में भर्ती करा दिया गया है।उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री मायावती ने घटना पर दु:ख व्यक्त करते हुए अपने वरिष्ठ मंत्रिमंडलीय सहयोगियों नसीमुद्दीन सिद्दीकी और स्वामी प्रसाद मौर्य को स्थिति की मौके पर जानकारी लेने के लिए प्रतापगढ़ भेज दिया है जो उन्हें अपनी रिपोर्ट देगे। इस बीच संत कृपालु महाराज ने कहा है कि हादसा उनके आश्रम में नहीं हुआ है बल्कि आश्रम के बाहर हुआ है।उन्होंने यह भी कहा है कि भले ही हादसा उनके आश्रम में न हुआ हो, वे चूँकि समाज सेवा में है और मृतक तथा घायल होने वाले उनके आश्रम में आ रहे थे, इसलिए आश्रम की तरफ से मृतकों के परिजनो को 50-50 हजार रुपए और घायलों को 10-10 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी।उधर प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि मरने वालों में बहुत से लोगों की गेट के निकट बोरवेल में गिरने से मृत्यु हुई। अधिकारियों ने बताया कि जिला अधिकारियों को समारोह के आयोजन की पहले से कोई सूचना नहीं दी गई थी। हताहतों के क्रुद्ध परिजनों ने बताया कि पुलिस उन्हें अपने लोगों के शव तलाशने के लिए वहाँ जाने की अनुमति नहीं दे रही है।इस बीच प्रतापगढ़ के कार्यवाहक जिलाधिकारी अशोक कुमार और कुण्डा के परगनाधिकारी श्यामा चरण ने घटना का ब्योरा देते हुए बताया कि हादसा उस समय हुआ जब भंडारे में प्रसाद एवं बर्तन आदि का वितरण चल रहा था कि अचानक मंदिर का गेट और पंडाल गिर जाने से अनेक लोग उसके नीचे दब गए, जबकि अनेक उसके बाद हुई भगदड़ में हताहत हुए। भंडारे में दस हजार से अधिक की भीड़ जुटी थी, जिनमें अधिकांश महिलाएँ और बच्चे थे।उधर दिल्ली में लोकसभा में भी सदस्यों ने इस मामले को उठाते हुए सरकार से मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए मुआवजा देने की माँग की गई।सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सपा नेता मुलायम सिंह ने यह मामला उठाते हुए केन्द्र सरकार से इस मामले का संज्ञान लेकर आगे की कार्रवाई करने की अपील की। इस पर पीठासीन सभापति इंदर सिंह नामधारी ने संसदीय कार्य मंत्री से मामले का संज्ञान लेने को कहा। संसदीय कार्य मंत्री वी. नारायणसामी ने कहा कि सरकार इस मामले का संज्ञान लेती है तथा जो भी संभव होगा किया जाएगा।इसके बाद प्रतापगढ़ से सांसद राजकुमारी रत्ना सिंह ने यह मसला उठाते प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए मुआवजा देने की माँग की। उन्होंने घायलों को भी मदद देने का आग्रह किया।राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने कहा कि अक्सर भंडारा, यज्ञ, महायज्ञ में इस तरह की भगदड़ मच जाती है। अक्सर ऐसे कार्यक्रमों की सूचना प्रशासन को नहीं दी जाती। सरकार को नियम बनाना चाहिए कि बिना प्रशासन को सूचित किए ऐसा कोई कार्यक्रम न हो। (भाषा)