रक्षाबंधन का त्योहार इस वर्ष 26 अगस्त को है। इस साल अच्छी बात यह है कि राखी के दिन भद्रा नहीं है, इसलिए रक्षाबंधन सुबह से लेकर रात तक किया जा सकता है, लेकिन बीच-बीच में कुछ समय को छोड़ना होगा क्योंकि अशुभ चौघड़िया, राहु काल, यम घंटा और गुली काल रहेगा।
ज्योतिष पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 25 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 16 मिनट से प्रारंभ हो जाएगी जो 26 अगस्त को सायं 5 बजकर 25 मिनट तक रहेगी। इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र दोपहर 12.35 बजे तक रहेगा।
रक्षाबंधन का मुहूर्त 26 अगस्त को प्रातः 7.43 से दोपहर 12.28 बजे तक रहेगा। इसके बाद दोपहर 2.03 से 3.38 बजे तक रहेगा। सायं 5.25 पर पूर्णिमा तिथि समाप्त हो जाएगी, लेकिन सूर्योदय व्यापिनी तिथि मानने के कारण रात्रि में भी राखी बांधी जा सकेगी।
यह है शुभ मुहूर्त
प्रातः 7.43 से 9.18 तक चर
प्रातः 9.18 से 10.53 तक लाभ
प्रातः10.53 से 12.28 तक अमृत
दोपहर: 2.03 से 3.38 तक शुभ
सायं: 6.48 से 8.13 तक शुभ
रात्रि: 8.13 से 9.38 तक अमृत
रात्रि: 9.38 से 11.03 तक चर
इस समय में न बांधें, अशुभ हैं ये समय
राहु काल प्रातः 5.13 से 6.48
यम घंटा दोप. 12.28 से 2.03
गुली काल दोप. 3.38 से 5.13
काल चौघड़िया दोप. 12.28 से 2.03
धनिष्ठा पंचक की नहीं है बाधा
धनिष्ठा से रेवती तक पांच नक्षत्रों को पंचक कहा जाता है। ये पांच दिनों तक चलता है। पंचक को लेकर भ्रांति यह है कि इसमें कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए। जबकि सत्यता यह है कि पंचक में अशुभ कार्य नहीं करना चाहिए क्योंकि उनकी पांच बार पुनरावृत्ति होती है। पंचक में शुभ कार्य करने में कोई दिक्कत नहीं है। रक्षाबंधन के दिन धनिष्ठा नक्षत्र होने के कारण पंचक रहेगा, लेकिन राखी बांधने में यह बाधक नहीं बनेगा।