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प्रकाश सिंह बादल : प्रोफाइल

Parkash Singh Badal's profile in hindi । प्रकाश सिंह बादल : प्रोफाइल - Parkash Singh Badal's profile
शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाशसिंह बादल का 25 अप्रैल 2023 को निधन हो गया। वे 1947 से भारतीय राजनीति में सक्रिय थे। देश के सबसे उम्रदराज मुख्‍यमंत्री, पंजाब में भाजपा-अकाली दल का प्रमुख चेहरा प्रकाश सिंह बादल अकेले नेता थे, जो पांच बार पंजाब के मुख्‍यमंत्री बने। इन्‍हें पंजाब की राजनीति में बेहद सम्माननीय वरिष्ठ व्यक्ति का दर्जा दिया जाता था।
प्रारंभिक जीवन : पंजाब के अकाली नेता प्रकाश सिंह बादल का जन्म 8 दिसंबर, 1927 ई. को अबुल खुराना गांव (अब पाकिस्तान) के जाट सिख परिवार में हुआ। लाहौर के क्रिश्चियन कॉलेज में उन्होंने शिक्षा पाई।
 
पारिवारिक पृष्‍ठभूमि : प्रकाश सिंह बादल की पत्नी सुरिंदर कौर का देहांत हो चुका है। प्रकाश सिंह बादल की एक बेटी और एक बेटा है, जिनका नाम सुखबीर सिंह बादल है। 
 
राजनीतिक जीवन : प्रकाश सिंह बादल की बेटी का विवाह पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों के बेटे से संपन्न हुआ है और यहीं से बादल का राजनीतिक जीवन आरंभ हुआ। 
 
1947 में प्रकाश सिंह बादल शिरोमणि अकाली दल के सदस्य बने। उन्हें पंजाब की राजनीति के बेहद सम्माननीय वरिष्ठ व्यक्ति का दर्जा दिया जाता है। 1961 में प्रकाश सिंह बादल को मंत्रिमंडल में सम्मिलित किया गया। 
 
1957 और 1969 में वे कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे। प्रकाश सिंह बादल 1970–1971, में मुख्यमंत्री बने थे, परंतु बाद में उन्हें मुख्य्मंत्री पद त्यागना पड़ा और वे लोकसभा के लिए निर्वाचित होकर केन्द्र में कृषि और सिंचाई मंत्री बने। 1977 में बादल को फिर पंजाब का मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला। 
 
उन्‍होंने वर्ष 1969-1970 तक सामुदायिक विकास, पंचायतीराज, पशुपालन, डेरी आदि से संबंधित मंत्रालयों में कार्यकारी मंत्री के रूप में कार्य किया। वे पंजाब, पंजाबियत और पंजाबियों की रक्षा और उनके हितों के लिए आवाज उठाने के चलते अपने जीवन के लगभग सत्रह वर्ष जेल में बिता चुके हैं। वे भ्रष्टाचार के विरोध में भी आवाज उठाते रहे हैं।
 
प्रकाश सिंह बादल 1977–1980, 1997–2002 में पंजाब के मुख्यमंत्री और 1972, 1980 और 2002 में नेता विपक्ष रह चुके हैं। मोरारजी देसाई के शासनकाल में वे सांसद भी बने। उन्‍हें केन्द्रीय मंत्री के तौर पर कृषि और सिंचाई मंत्रालय का उत्तरदायित्व सौंपा गया। 
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