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मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के दर्शन मात्र से सारे संकट दूर होते हैं। नवरात्रि का हर दिन देवी के एक विशेष दिव्य रूप को समर्पित है। वेबदुनिया के पाठकों के लिए पेश है मां दुर्गा के नौ स्वरूप...
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श्री शैलपुत्री : श्री दुर्गा का प्रथम रूप श्री शैलपुत्री हैं। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण ये शैलपुत्री कहलाती हैं। नवरात्र के प्रथम दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है।
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श्री ब्रह्मचारिणी : श्री दुर्गा का द्वितीय रूप श्री ब्रह्मचारिणी है। यहां ब्रह्मचारिणी का तात्पर्य तपश्चरिणी है। इन्होंने भगवान शंकर को पति रूप से प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी।
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श्री चंद्रघंटा : श्री दुर्गा का तृतीय रूप श्री चंद्रघंटा है। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। नवरात्रि के तीसरे दिन इनकी पूजा और अर्चना की जाती है।
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श्री कूष्मांडा : श्री दुर्गा का चतुर्थ रूप श्री कूष्मांडा हैं। अपने उदर से ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से पुकारा जाता है। नवरात्रि के चौथे दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है।
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श्री स्कंदमाता : श्री दुर्गा का पंचम रूप श्री स्कंदमाता हैं। श्री स्कंद (कुमार कार्तिकेय) की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। नवरात्रि के पांचवें दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है।
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श्री कात्यायनी : श्री दुर्गा का षष्ठम् रूप श्री कात्यायनी। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं।
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श्री कालरात्रि : श्रीदुर्गा का सप्तम रूप श्री कालरात्रि हैं। यह काल का नाश करने वाली हैं, इसलिए कालरात्रि कहलाती हैं। नवरात्रि के सातवें दिन इनकी पूजा और अर्चना की जाती है।
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श्री महागौरी : श्री दुर्गा का अष्टम रूप श्री महागौरी हैं। इनका वर्ण पूरी तरह गौर है, इसलिए यह महागौरी कहलाती हैं। नवरात्रि के आठवें दिन इनका पूजन किया जाता है।
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श्री सिद्धिदात्री : श्री दुर्गा का नवम् रूप श्री सिद्धिदात्री हैं। यह सब प्रकार की सिद्धियों की दाता हैं,इसीलिए यह सिद्धिदात्री कहलाती हैं। नवरात्रि के नौवें दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है। (सभी चित्र: देवकृष्ण लांबोले)