रविवार, 13 अक्टूबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. रक्षा बंधन
  4. Raksha Bandhan
Written By अनिरुद्ध जोशी

बहन क्यों बांधती है रक्षाबंधन पर राखी, जानिए 5 खास कारण

बहन क्यों बांधती है रक्षाबंधन पर राखी, जानिए 5 खास कारण | Raksha Bandhan
रक्षा बंधन का त्योहार हर वर्ष श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। अंग्रेजी माह के अनुसार यह त्योहार इस वर्ष 22 अगस्त 2021 रविवार को मनाया जाएगा। रक्षा बंधन पर बहनें भाई को क्यों बांधती हैं राखी। क्या है इसके पौराणिक कारण, आओ जानते हैं।
 
 
1. भाई बहन का एक दूसरे की रक्षा हेतु बंधन : भाई जहां बहन की रक्षा का वचन देता है वहीं बहन यह रक्षा सूत्र बांधकर भाई की रक्षा की कामना करती है। इस अवसर पर भाई कोई न कोई उपहार जरूर देता है। माना जाता है कि राजसूय यज्ञ के समय भगवान कृष्ण को द्रौपदी ने रक्षा सूत्र के रूप में अपने आंचल का टुकड़ा बांधा था। इसी के बाद से बहनों की ओर से भाई को राखी बांधने की परंपरा शुरू हो गयी। यह त्यौहार भाई-बहन के असीम प्रेम और अटूट रिश्ते को दर्शाता है और राखी का धागा दोनों के स्नेह को दर्शाता है। देशभर के अलग-अलग हिस्सों में इसे अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। राखी बांध कर तिलक लगाकर भाई को मीठा जरूर खिलाया जाता है।
 
 
2. पति की रक्षा हेतु : सबसे पहले इंद्र की पत्नी शचि ने वृत्तसुर से युद्ध में इंद्र की रक्षा के लिए रक्षा सूत्र बांधा था। इसलिए जब भी कोई युद्ध में जाता है तो उसकी कलाई पर कलाया, मौली या रक्षा सूत्र बांधकर उसकी पूजा की जाती है। देवी लक्ष्मी ने राजा बलि को अपना भाई बनाकर हाथों में अपने पति की रक्षा के लिए यह बंधन बांधा था और अपने बंधक पति श्रीहरि विष्णु को अपने साथ ले गई थी।
 
 
3. सभी की रक्षा हेतु : इसे घर में लाई गई नई वस्तु वाहन आदि को भी बांधा जाता और इसे पालतू पशुओं को भी बांधा जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि वह वस्तु और पशु सुरक्षित रहे।
 
4. मौली करती है रक्षा : राखी या मौली को कलाई में बांधने पर कलावा या उप मणिबंध करते हैं। हाथ के मूल में 3 रेखाएं होती हैं जिनको मणिबंध कहते हैं। भाग्य व जीवनरेखा का उद्गम स्थल भी मणिबंध ही है। इन तीनों रेखाओं में दैहिक, दैविक व भौतिक जैसे त्रिविध तापों को देने व मुक्त करने की शक्ति रहती है। इसीलिए कलाई पर इसे बांधा जाता है। शास्त्रों का ऐसा मत है कि मौली बांधने से त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु व महेश तथा तीनों देवियों- लक्ष्मी, पार्वती व सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है। मौली बांधने से उसके पवित्र और शक्तिशाली बंधन होने का अहसास होता रहता है और इससे मन में शांति और पवित्रता बनी रहती है। व्यक्ति के मन और मस्तिष्क में बुरे विचार नहीं आते और वह गलत रास्तों पर नहीं भटकता है। कई मौकों पर इससे व्यक्ति गलत कार्य करने से बच जाता है।
 
5. सेहत के लिए मौली : प्राचीनकाल से ही कलाई, पैर, कमर और गले में भी मौली बांधे जाने की परंपरा के ‍चिकित्सीय लाभ भी हैं। शरीर विज्ञान के अनुसार इससे त्रिदोष अर्थात वात, पित्त और कफ का संतुलन बना रहता है। पुराने वैद्य और घर-परिवार के बुजुर्ग लोग हाथ, कमर, गले व पैर के अंगूठे में मौली का उपयोग करते थे, जो शरीर के लिए लाभकारी था। ब्लड प्रेशर, हार्टअटैक, डायबिटीज और लकवा जैसे रोगों से बचाव के लिए मौली बांधना हितकर बताया गया है।
 
शरीर की संरचना का प्रमुख नियंत्रण हाथ की कलाई में होता है अतः यहां मौली बांधने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है। उसकी ऊर्जा का ज्यादा क्षय नहीं होता है। शरीर विज्ञान के अनुसार शरीर के कई प्रमुख अंगों तक पहुंचने वाली नसें कलाई से होकर गुजरती हैं। कलाई पर कलावा बांधने से इन नसों की क्रिया नियंत्रित रहती है। कमर पर बांधी गई मौली के संबंध में विद्वान लोग कहते हैं कि इससे सूक्ष्म शरीर स्थिर रहता है और कोई दूसरी बुरी आत्मा आपके शरीर में प्रवेश नहीं कर सकती है। बच्चों को अक्सर कमर में मौली बांधी जाती है। यह काला धागा भी होता है। इससे पेट में किसी भी प्रकार के रोग नहीं होते।
 
ये भी पढ़ें
रक्षाबंधन पर भाई से पहले बांधें इन 5 देवताओं को राखी : Rakshabandhan