सोमवार, 23 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. ललिता जयंती 2020
  4. lalita jayanti 2020 maa lalita ki katha
Written By

ललिता जयंती है 9 फरवरी को, पढ़ें पौराणिक कथा

ललिता जयंती है 9 फरवरी को, पढ़ें पौराणिक कथा - lalita jayanti 2020 maa lalita ki katha
9 फरवरी 2020 :  ललिता जंयती 2020 : शुभ मुहूर्त 
 
अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से रात 1 बजे तक 
 
अमृत काल मुहूर्त - शाम 6 बजकर 17 मिनट से शाम 7 बजकर 43 मिनट तक 
निशिथ मुहूर्त- रात 12 बजकर12 मिनट से रात 1 बजकर 1 मिनट तक (10 जनवरी 2020) 
 
पौराणिक कथा के अनुसार देवी ललिता आदि शक्ति का वर्णन देवी पुराण से प्राप्त होता है। नैमिषारण्य में एक बार यज्ञ हो रहा था जहां दक्ष प्रजापति के आने पर सभी देवता गण उनका स्वागत करने के लिए उठे। 
 
लेकिन भगवान शंकर वहां होने के बावजूद भी नहीं उठे इसी अपमान का बदला लेने के लिये दक्ष ने अपने यज्ञ में शिवजी को आमंत्रित नही किया। जिसका पता मां सती को चला और वो बिना भगवान शंकर से अनुमति लिये अपने पिता राजा दक्ष के घर पहुंच गई। उस यज्ञ में अपने पिता के द्वारा भगवान शंकर की निंदा सुनकर और खुद को अपमानित होते देखकर उन्होने उसी अग्नि कुंड में कूदकर अपने अपने प्राणों को त्याग दिया भगवान शिव को इस बात की जानकारी हुई तो तो वह मां सती के प्रेम में व्याकुल हो गए और उन्होने मां सती के शव को कंधे में रखकर इधर उधर उन्मत भाव से घूमना शुरु कर दिया। 
 
भगवान शंकर की इस स्थिति से विश्व की सम्पूर्ण व्यवस्था छिन्न भिन्न हो गई ऐसे में विवश होकर अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। जिसके बाद मां सती के शरीर के अंग कटकर गिर गए और उन अंगों से शक्ति विभिन्न प्रकार की आकृतियों से उन स्थानों पर विराजमान हुई और वह शक्तिपीठ स्थल बन गए। 
 
महादेव भी उन स्थानों पर भैरव के विभिन्न रुपों में स्थित है।नैमिषारण्य में मां सती का ह्रदय गिरा था।नैमिष एक लिंगधारिणी शक्तिपीठ स्थल है। जहां लिंग स्वरूप में भगवान शिव की पूजा की जाती है और यही मां ललिता देवी का मंदिर भी है। जहां दरवाजे पर ही पंचप्रयाग तीर्थ विद्यमान है।
 
भगवान शंकर को हृदय में धारण करने पर सती नैमिष में लिंगधारिणीनाम से विख्यात हुईं इन्हें ललिता देवी के नाम से पुकारा जाने लगा। 
 
एक अन्य कथा अनुसार ललिता देवी का प्रादुर्भाव तब होता है जब ब्रह्मा जी द्वारा छोड़े गए चक्र से पाताल समाप्त होने लगा। इस स्थिति से विचलित होकर ऋषि-मुनि भी घबरा जाते हैं, और संपूर्ण पृथ्वी धीरे-धीरे जलमग्न होने लगती है। तब सभी ऋषि माता ललिता देवी की उपासना करने लगते हैं। प्रार्थना से प्रसन्न होकर देवी जी प्रकट होती हैं तथा इस विनाशकारी चक्र को थाम लेती हैं। सृष्टि पुन: नवजीवन को पाती है। 

lalita jayanti 2020