शुक्रवार, 3 अक्टूबर 2025
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. तीज त्योहार
  4. From when to when will the Mahalakshmi fast last
Written By WD Feature Desk
Last Updated : शनिवार, 13 सितम्बर 2025 (16:34 IST)

Mahalaxmi Vrat 2025: महालक्ष्मी व्रत कब से कब तक रहेगा

Mahalaxmi Vrat 2025 date
Mahalakshmi Puja 2025: सोलह दिवसीय महालक्ष्मी पर्व इस वर्ष 31 अगस्त 2025 से शुरू होकर 14 सितंबर 2025 तक चलेगा। यह व्रत पूरे 16 दिनों तक चलता है और माना जाता है कि इसे करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और दरिद्रता दूर होती है।ALSO READ: Mahalakshmi Vrata 2025: महालक्ष्मी व्रत कब रखा जाएगा, कब होगा समापन, पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि
 
महालक्ष्मी व्रत, जिसे सोलह दिवसीय महालक्ष्मी व्रत के नाम से भी जाना जाता है, माता लक्ष्मी को समर्पित एक अत्यंत शुभ और शक्तिशाली व्रत है। यह व्रत धन, सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। कई महाराष्ट्रीयन परिवारों में यह ज्येष्ठ गौरी व्रत 31 अगस्त से शुरू आह्वान होगा तथा 01 सितंबर को सुहागनों को खाना खिलाया जाएगा तथा 02 सितंबर को ज्येष्ठ गौरी माता बिदा की जाएगी। 
 
महालक्ष्मी व्रत रविवार, 31 अगस्त 2025 को
चन्द्रोदय समय- 01:04 पी एम
महालक्ष्मी व्रत प्रारम्भ- रविवार, अगस्त 31, 2025 को
महालक्ष्मी व्रत पूर्ण रविवार, 14 सितंबर, 2025 को
सम्पूर्ण महालक्ष्मी व्रत के दिन - 15।
 
महालक्ष्मी व्रत का महत्व: महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होकर आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक चलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है और दरिद्रता दूर होती है।

यह व्रत आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए विशेष फलदायी माना जाता है। इसे करने से व्यापार, नौकरी और कार्यक्षेत्र तथा आर्थिक समृद्धि में सफलता मिलती है। इसके अलावा यह व्रत विवाहित महिलाओं के लिए सौभाग्य और दांपत्य जीवन में सुख, शांति और प्रेम बढ़ाने वाला होता है। इस व्रत के नियमों का पालन करने से मन और शरीर दोनों की शुद्धि होती है।
 
महालक्ष्मी व्रत की पूजा विधि: 
महालक्ष्मी व्रत की पूजा पूरे 16 दिनों तक की जाती है, लेकिन यदि कोई 16 दिन तक व्रत न कर पाए तो शुरुआत के तीन दिन या अंत के तीन दिन भी व्रत कर सकता है।
1. व्रत का संकल्प:
व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
घर के पूजा स्थान को साफ कर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
हाथ में जल और फूल लेकर व्रत का संकल्प लें।
 
2. कलश स्थापना और पूजा:
- एक कलश में गंगाजल, हल्दी, सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर स्थापित करें। कलश के ऊपर आम के पत्ते और नारियल रखें।
- अब, चौकी पर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- मां लक्ष्मी को लाल वस्त्र, लाल फूल कमल या गुलाब, सिंदूर, बिंदी, चूड़ी और अन्य सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें।
- इस दिन विशेष रूप से 16 गांठों वाली धागे की माला बनाएं और उसकी पूजा करें। 
- पूजा के बाद यह धागा महिलाएं बाएं हाथ में और पुरुष दाएं हाथ में पहनें।
 
3. पूजा के नियम और भोग:
- यह व्रत निर्जला नहीं होता, लेकिन इसमें अन्न ग्रहण नहीं किया जाता। व्रती फलाहार कर सकते हैं।
- 16 दिनों तक सुबह-शाम माता लक्ष्मी की आरती करें और 'ॐ महालक्ष्म्यै नमः' मंत्र का जाप करें।
- पूजा में खीर, फल और मिठाई का भोग लगाएं।
- व्रत कथा को हर दिन पढ़ें या सुनें।
 
4. व्रत का समापन:
- इस तरह व्रत के 16वें दिन, जो कि इस बार 14 सितंबर 2025 को पड़ेगा, व्रत का उद्यापन किया जाता है।
- इस दिन 16 गांठों वाली धागे की माला का विसर्जन किया जाता है।
- किसी सुहागन महिला को भोजन और दान देकर आशीर्वाद लें।
 
यह व्रत सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ करने पर मां लक्ष्मी की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: Mahalakshami Muhurat 2025? महालक्ष्मी ज्येष्ठा गौरी व्रत कब से कब तक, जानिए शुभ मुहूर्त, मंत्र और पूजा विधि
ये भी पढ़ें
Jivitputrika vrat 2025: जीवित्पुत्रिका जितिया व्रत का महत्व और पौराणिक कथा