ओशो डायनामिक मेडिटेशन
अचेतन में दबी हिंसा को निकालने की विधि:
ओशो डाइनामिक ध्यान ओशो के निर्देशन में तैयार किए गए संगीत के साथ किया जाता है। यह संगीत ऊर्जागत रूप से ध्यान में सहयोगी होता है और ध्यान विधि के हर चरण की शुरुआत को इंगित करता है। निर्देशः जब नींद टूटती है तो पूरी प्रकृति जीवंत हो उठती है। रात गई, अंधेरा मिट चला, सूरज उग आया, और सब कुछ चेतन व सजग हो गया। तो यह पहला ध्यान वह ध्यान है जिसमें तुम्हें कुछ भी करते हुए सतत जागरूक, चेतन व होशपूर्ण बने रहता है; डाइनैमिक ध्यान आधुनिक मनुष्य को ध्यान उपलब्ध करवाने के लिए ओशो के प्रमुख योगदानों में से एक है।ओशो डाइनैमिक ध्यान एक घंटे का है और इसमें पाँच चरण हैं। इसे अकेले किया जा सकता है, लेकिन शुरुआत में इसे अन्य लोगों के साथ करना सहयोगी होगा। यह एक व्यक्तिगत अनुभव है, इसलिए अपने आस-पास के अन्य लोगों को न देखें और पूरे समय अपनी आँखें बंद रखें। बेहतर होगा कि आँखों पर पट्टी लगा लें। ध्यान से पहले पेट खाली हो व ढीले, आरामदेह कपड़े पहनें।पहला चरणः दस मिनटनाक से अराजक श्वास लें, और सारा ध्यान श्वास बाहर छोड़ने पर रखें। श्वास भीतर लेने का काम शरीर स्वयं कर लेगा। आप जितनी तीव्रता और जितनी शक्ति लगा सकते हैं लगाएँ, जब तक कि आप श्वास-प्रश्वास ही न बन जाएँ। अपने शरीर की स्वाभाविक गतियों को ऊर्जा से भर जाने दें। ऊर्जा को चरम बिंदु तक पहुँचते हुए महसूस करें, लेकिन इस चरण में उसे सम्हाल कर रखें।दूसरा चरणः दस मिनटविस्फोटित हो जाएँ। जो कुछ भी बाहर फेंकने जैसा हो, उसे बाहर बह जाने दें। पूरी तरह पागल हो जाएँ। चीखें, चिल्लाएँ, कूदें, कँपें, नाचें, गाएँ, हँसें; पूरी तरह उद्वेलित हो जाएँ। कुछ भी बचा कर न रखें; पूरे शरीर को गति करने दें। अपने रेचन को शुरुआत देने के लिए प्रायह्न थोड़ा अभिनय सहयोगी होता है। फिर जो कुछ भी हो उसमें अपने मन को हस्तक्षेप न करने दें। आपके भीतर से जो कुछ भी उठ रहा है उसे देखें। अपनी पूरी समग्रता उंड़ेलें।तीसरा चरणः दस मिनटअपने हाथों को सीधा ऊपर उठाए हुए हू! हू! हू! मंत्र को जितनी गहराई से हो सके उतनी गहराई से चिल्लाते हुए ऊपर-नीचे कूदें। हर बार जब भी आपके पैर के तलवे जमीन को छुएँ, उस आवाज को गहरे अपने काम-केंद्र पर चोट करने दें। आपके पास जितनी शक्ति हो लगा दें; स्वयं को पूरी तरह थका दें।चौथा चरणः पंद्रह मिनटठहर जाएँ। जहाँ हैं, जिस स्थिति में हैं, वहीं जम जाएँ। शरीर को किसी भी तरह से व्यवस्थित न करें। थोड़ी सी भी खाँसी या हलन-चलन आपके ऊर्जा के प्रवाह को क्षीण कर देगी और पूरा प्रयास खो जाएगा। आपके भीतर जो कुछ भी हो रहा हो उसके साक्षी बने रहें।पाँचवाँ चरणः पंद्रह मिनटउत्सव मनाएँ, आनंदित हों, और पूर्ण के प्रति अपना अहोभाव व्यक्त करते हुए संगीत के साथ नाचें। अपने आनंद को पूरे दिन अपने साथ लिए हुए चलें।आप जिस जगह ध्यान कर रहे हैं, वहाँ यदि आवाज करना संभव न हो, तो यह मौन विकल्प प्रयोग में ला सकते हैं: दूसरे चरण में आवाजें निकालने की अपेक्षा रेचन को अपनी शारीरिक गतियों से होने दें। तीसरे चरण में 'हू' ध्वनि की चोट मौन रूप से भीतर ही भीतर की जा सकती है, और पाँचवाँ चरण अभिव्यक्तिपूर्ण नृत्य बन सकता है।