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Written By भाषा
Last Modified: बीजिंग (भाषा) , गुरुवार, 21 अगस्त 2008 (22:44 IST)

दोहरी सफलता के बाद भारत के हाथ निराशा

ओलिम्पिक राजीव तोमर फ्रीस्टाइल वर्ग भारत
ओलिम्पिक में एक दिन में दो पदक जीतने की ऐतिहासिक उपलब्धि के एक दिन बाद आज भारत के हाथ निराशा लगी और पहलवान राजीव तोमर खास चुनौती पेश किए बिना ही 120 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग में हारकर बाहर हो गए।

पहलवान सुशील कुमार और और मुक्केबाज विजेंदर कुमार के पदक जीतने के प्रयास के कुछ घंटों बाद ही भारतीय खेमे में निराशा छा गई, क्योंकि तोमर अधिक प्रभाव नहीं छोड़ पाए। ओलिम्पिक में आज भारत की तरफ से केवल तोमर को ही भाग लेना था।

पहले सप्ताह में अभिनव बिंद्रा के स्वर्ण पदक जीतने के बाद 25 वर्षीय सुशील कुमार ने कुश्ती में काँस्य पदक जीता जबकि विजेंदर ने मुक्केबाजी के सेमीफाइनल में पहुँचकर खुद को रजत या स्वर्ण पदक की दौड़ में बनाए रखा। उनको कम से कम काँसे का तमगा मिलना तय है।

भारत ने पहली बार ओलिम्पिक में तीन पदक हासिल किए। भारत ने इससे पहले 1952 में हेलंसिकी ओलिम्पिक में हॉकी में स्वर्ण जबकि केडी जाधव ने कुश्ती में काँस्य पदक जीता था।

तोमर को क्वालीफाइंग राउंड में अमेरिका के स्टीव मोको ने आसानी से 4-0 से शिकस्त देकर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया। इस अमेरिकी पहलवान को राजीव को हराने में कोई मशक्कत नहीं करनी पड़ी।

सुशील की तरह राजीव का भाग्य पलटने की उम्मीदें भी तब समाप्त हो गई, जब मोको फाइनल में पहुँचने में असफल रहे।

यह अमेरिकी पहलवान सेमीफाइनल बाउट में रूस के बख्तियार अहमेदोव से 1-3 से हार गया। अगर मोको फाइनल में पहुँच जाते तो राजीव को रेपेचेज खेलना पड़ता और वह काँस्य पदक की दौड़ में शामिल हो सकते थे।

अमेरिकी पहलवान ने पहले चरण में राजीव पर 1-0 की बढ़त बना ली थी, लेकिन दूसरे चरण की एकतरफा भिड़ंत में उन्होंने तीन महत्वपूर्ण तकनीकी अंक हासिल किए और यही निर्णायक चरण साबित हुआ।

राजीव अमेरिका के मोको की रणनीति नहीं समझ सके और कोच पीआर सोंधी भी इस बाउट से नाखुश थे क्योंकि यह भारतीय उनकी रणनीति के मुताबिक लड़ने में असफल रहा।

सोंधी ने कहा कि सच कहूँ तो यह राजीव का काफी खराब प्रदर्शन था। निश्चित रूप से दोनों में से मोको बेहतर था लेकिन मुझे लगता है कि राजीव इससे अच्छा प्रदर्शन कर सकता था। हमें हालाँकि जीत की उम्मीद नहीं थी लेकिन राजीव ने बेहतर कोशिश भी नहीं की।

उन्होंने कहा तकनीकी रूप से देखें तो राजीव के पास जीतने का कोई मौका नहीं था। मोको ने दूसरे चरण में अपनी रणनीति के मुताबिक काम किया और तभी हमें पता चल गया था कि सब कुछ खत्म हो गया।

अब सबकी निगाहें मुक्केबाज विजेंदर पर टिकी हैं, जिन्हें कल 75 किग्रा भार वर्ग के सेमीफाइनल में दो बार के पैन अमेरिकी चैंपियन क्यूबाई इमिलियो कोरिया बायोक्स से भिड़ना है।