• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. एनआरआई
  3. एनआरआई साहित्य
  4. MUKHAUTA
Written By

प्रवासी कविता : सुंदर मुखौटे

प्रवासी कविता : सुंदर मुखौटे - MUKHAUTA
- विपुल गोस्वामी


 
नापसंद भी वे किसी को क्यों होते
किसी का तो कुछ नहीं बिगाड़ते
सात रंग और नौ रस से पीते
लोगों के वे सुंदर मुखौटे
 
दु:ख व द्वेष दोनों समान रूप से छुपाते
बेसबब बेअदब उलझनें बेशिकायत सुलझाते
चेहरे पे जैसे अनेक चेहरे होते
लोगों के वे सुंदर मुखौटे
 
जहां कहीं नहीं छिछली मुस्कुराहटें‍ बिखेरते
पर अनमोल मनोभावनाओं का रिसाव भी तो रोकते
जैसे अंतरसंवेदनाओं को अंतरत: ही संजोते
लोगों के वे सुंदर मुखौटे
 
ईशान से नैऋत्य का संगम कराते
पारस्परिक कलहों के बीजों का गर्भपात कराते
विविध आस्थाओं और विचारधाराओं को मैत्री में पिरोते
लोगों के वे सुंदर मुखौटे
 
बेशक, लोगों के वे सुंदर मुखौटे
मगर बनावटी और झूठे जो थे।
साभार- गर्भनाल