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Written By भाषा
Last Modified: वॉशिंगटन , मंगलवार, 4 सितम्बर 2012 (01:04 IST)

रेडियो तरंगों से चलेंगे वायरलेस हार्ट इंप्लांट

रेडियो तरंग
इंजीनियरों ने अब पेसमेकर की जगह लेने वाला एक अत्यंत सूक्ष्म उपकरण विकसित किया है, जिसको शरीर के बाहर से रेडियो तरंगों से चलाया जा सकेगा। इससे समय-समय पर बदलने वाली बैटरियों के झंझट से निजात मिल जाएगी।

सीने में अंदर लगाया जाने वाला यह उपकरण एक मिलीमीटर त्रिज्या के घन में है, जिसे किसी पिन द्वारा लगाया जा सकता है। अनुसंधानकर्ताओं ने सीने में 5 सेंटीमीटर अंदर दिल की सतह पर लगाए गए उपकरण में वायरलेस पावर ट्रांसफर का प्रदर्शन किया। अब तक माना जाता था कि इस गहराई में वायरलेस पावर ट्रांसफर संभव नहीं है।

इस अध्ययन का नेतृत्व स्टैनफोर्ड में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर एडा पून ने किया। इंजीनियरों का कहना है कि उनका अनुसंधान एक मील का पत्थर साबित होगा और एक दिन सभी तरह के इंप्लांट वायरलेस प्रणाली से संचालित किए जाएंगे।

उनका कहना है कि दिल के अलावा इस तरह के उपकरणों में निगलने वाले एंडोस्कोप हो सकते हैं, जिन्हें पिलकैम का नाम दिया गया है। ये पाचन नली में सफर करते हैं।

इसके अलावा इसका उपयोग स्थाई पेसमेकर में किया जा सकेगा और एक दिन आएगा, जब ऐसे सभी मेडिकल उपकरणों में इसका उपयोग होने लगेगा जहां आकार और ऊर्जा अहम होंगे। (भाषा)