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Last Modified: नई दिल्ली , बुधवार, 4 मई 2016 (14:40 IST)

उत्तराखंड शक्ति परीक्षण पर रुख स्पष्ट हो : सु्प्रीम कोर्ट

Suprime court
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र की उस याचिका को स्वीकार कर लिया जिसमें केंद्र ने उत्तराखंड विधानसभा में शक्ति परीक्षण करवाने की व्यवहार्यता के न्यायालय के सुझाव पर जवाब देने के लिए उससे 2 और दिन का समय मांगा था।
 
अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने न्यायालय को बताया कि उन्होंने न्यायालय के सुझाव को केंद्र तक पहुंचा दिया है और सरकार इस पर गंभीरता के साथ विचार कर रही है। इसके बाद न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह ने इस मामले की सुनवाई को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया।
 
पीठ ने अटॉर्नी जनरल की इस बात को रिकॉर्ड कर लिया कि केंद्र सरकार इस मामले में उपजे विवाद को खत्म करने के लिए विधानसभा में शक्ति परीक्षण करवाने के इस न्यायालय के सुझाव पर गंभीरता के साथ विचार कर रही है।
 
पीठ ने यह भी कहा कि उसने हटाए गए मुख्यमंत्री हरीश रावत के वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी की इस बात पर भी गौर किया कि सरकार द्वारा सुझाव को स्वीकार कर लिए जाने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। पीठ ने कहा कि यदि सरकार सुझाव को स्वीकार कर लेती है तो यह लोकतंत्र के लिए अच्छा होगा।
 
मामले की सुनवाई को 6 मई के लिए स्थगित करते हुए पीठ ने कहा कि यदि एजी को सुझाव पर निर्देश नहीं मिलते हैं, तब भी मामले की सुनवाई की जाएगी। यह भी संभावना है कि इस मामले को पूर्ण बहस के लिए संवैधानिक पीठ के पास भेज दिया जाए। पीठ का यह मानना था कि राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के अधिकतर मामलों में कुछ अहम सवाल तैयार करने के बाद मामला संवैधानिक पीठ के पास भेजा जाता रहा है। 
 
बहरहाल, सिब्बल और सिंघवी ने इस आदेश की रिकॉर्डिंग पर आपत्ति जताई और कहा कि यहां यह शक्ति परीक्षण का मामला है, जो रावत के लिए विश्वास मत जैसा है और इसे किसी भी तरह से अविश्वास मत नहीं कहा जा सकता।
 
कांग्रेस की इस दलील पर रोहतगी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश के चलते राष्ट्रपति शासन लागू होने की वजह से रावत खुद को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश करके विश्वास मत नहीं मांग सकते।
 
एजी ने कहा कि उत्तराखंड में स्थिति ऐसी है, जहां दोनों ही पक्षों को अपना बहुमत साबित करने के लिए शक्ति परीक्षण का सामना करना होगा। सिंघवी ने कहा कि शक्ति परीक्षण उस दल के लिए नहीं हो सकता, जो सत्ता में है ही नहीं और जिस व्यक्ति को बहुमत साबित करने के लिए बुलाया जाना है, वह मुख्यमंत्री रहा है।
 
पीठ ने कहा कि हम रावत को बहुमत साबित करने के लिए कहकर पूर्व स्थिति बहाल नहीं करेंगे। (भाषा)
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