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Last Modified: गुरुवार, 1 अप्रैल 2021 (18:08 IST)

सुप्रीम कोर्ट से बिहार सरकार की याचिका खारिज, समय बर्बाद करने पर 20 हजार रुपए का लगाया जुर्माना

सुप्रीम कोर्ट से बिहार सरकार की याचिका खारिज, समय बर्बाद करने पर 20 हजार रुपए का लगाया जुर्माना - supreme court rejected bihar government plea penalty of rupees 20 thousand imposed for wasting time
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की एक अपील को खारिज कर दिया और अदालत का समय बर्बाद करने के लिए राज्य सरकार पर 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। विभिन्न पक्षों के एक मामले पर सहमत होने के बाद पटना उच्च न्यायालय द्वारा मामले का निस्तारण करने से यह अपील जुड़ी हुई थी।
न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति आरएस रेड्डी ने कहा कि राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय की खंडपीठ के आदेश के खिलाफ पिछले वर्ष सितंबर में उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दाखिल की थी। उच्च न्यायालय ने इसकी याचिका का ‘सहमति के आधार’ पर निस्तारण कर दिया था।
 
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि मामले पर कुछ समय सुनवाई के बाद राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने संयुक्त रूप से आग्रह किया कि अपील का सहमति के आधार पर निपटारा किया जाए।
 
पीठ ने कहा कि ‘इसके बाद सहमति के आधार पर निपटारा कर दिया गया। इसके बावजूद विशेष अनुमति याचिका दायर की गई। हम इसे अदालती प्रक्रिया का पूरी तरह दुरुपयोग मानते हैं और वह भी एक राज्य सरकार द्वारा। यह अदालत के समय की भी बर्बादी है।’
 
पीठ ने 22 मार्च के अपने आदेश में कहा कि इस प्रकार हम एसएलपी पर 20 हजार रुपए का जुर्माना करते हैं, जिसे चार हफ्ते के अंदर उच्चतम न्यायालय समूह ‘सी’ (गैर लिपिकीय) कर्मचारी कल्याण संगठन के पास जमा कराया जाए।’ उच्चतम न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार यह जुर्माना उन अधिकारियों से वसूले, जो इस ‘दु:साहस’ के लिए जिम्मेदार हैं।
 
उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश की पीठ ने दिसंबर 2018 में एक नौकरशाह की याचिका पर फैसला सुनाया था, जिसमें उन्होंने जून 2016 में सेवा से बर्खास्त करने के सरकार के फैसले को चुनौती दी थी।  नौकरशाह के खिलाफ कथित तौर पर अवैध रूप से संपत्ति अर्जित करने के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी, उन्हें निलंबित कर दिया गया और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गई।
एकल पीठ ने जून 2016 के बर्खास्तगी के आदेश को खारिज कर दिया था और जांच रिपोर्ट भी खारिज कर दी थी। राज्य सरकार ने एकल पीठ द्वारा दिसंबर 2018 में दिए गए फैसले को खंडपीठ में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने कहा था कि मामले में कुछ समय तक सुनवाई के बाद वकीलों ने संयुक्त रूप से आग्रह किया कि सहमति के आधार पर अपील का निपटारा किया जाए। इसी मुताबिक आदेश दिया जाता है। (भाषा) 
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