• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Salt therapy will combat air pollution
Written By
Last Updated : गुरुवार, 9 जनवरी 2020 (18:10 IST)

वायु प्रदूषण का मुकाबला करेगी साल्ट थैरेपी, TATA ने खोजा नया प्रयोग

वायु प्रदूषण का मुकाबला करेगी साल्ट थैरेपी, TATA ने खोजा नया प्रयोग - Salt therapy will combat air pollution
नई दिल्ली। विश्व में होने वाली मौतों में सबसे बड़ा 5वां कारण वायु प्रदूषण है और यह कुपोषण तथा शराब से होने वाली मौतों के आंकड़े को भी पार कर गया है। स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर रिपोर्ट 2019 में यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण अब युवा वर्ग भी इससे प्रभावित हो रहा है और उनमें अस्थमा तथा कैंसर के मामले भी सामने आ रहे हैं।
देश के अग्रणी संस्थान टाटा (TATA) केमिकल्स लिमिटेड ने देश में वायु प्रदूषण की भयावहता को देखते हुए अब देशी तरीके से इससे निपटने की मुहिम शुरू की है और नमक के इस्तेमाल से लोगों को प्रदूषण का मुकाबला करने का अभियान शुरू किया है। टाटा ने इस अनूठे प्रयोग को 'साल्ट थैरेपी' का नाम दिया है।
 
टाटा केमिकल्स के विपणन, उपभोक्ता कारोबार के प्रमुख सागर बोके ने गुरुवार को बताया कि यह साल्ट थैरेपी सदियों से घरों में इस्तेमाल की जा रही थी और लोगों के गले और सीने में जब भी कोई दिक्कत होती थी तो वे नमक के पानी के गरारे करते थे और अब नमक के इसी प्राकृतिक गुण को टाटा ने घर घर तक पहुंचाने का जिम्मा उठाया है।
 
उन्होंने बताया कि इस थैरेपी में मरीजों को नमक का इस्तेमाल करके उन्हें भाप के रूप में लेना पड़ता है और जिन मरीजों की छाती में बलगम अधिक जम जाता है, यह वाष्पयुक्त नमक उनकी सांस की नलियों को खोल देता है।
 
अब कंपनी ने इसमें थोड़ा बदलाव करते हुए एक विशेष वाहन के भीतर कुछ लैंप लगाए हैं जिसके चारों तरफ नमक की एक परत है और इसमें विशेष लैंपों के जरिए इसे बहुत कम गर्म कर वाष्प में बदला जाता है और यह सांस के जरिए भीतर जाकर सांस नलिकाओं को खोल देता है।
 
इस तरह का एक वाहन आम लोगों के लिए नि:शुल्क बुधवार को लाजपत नगर में लगाया गया था और इसी कड़ी में यह हौज खास में लगाया गया, जहां स्थानीय लोगों ने जाकर इस थैरेपी का आनंद नि:शुल्क उठाया। कंपनी इस तरह के वाहन का इस्तेमाल 14 जनवरी तक विभिन्न क्षेत्रों में करेगी।
 
इस मौके पर इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के सांस रोग विभाग के चिकित्सक डॉ. निखिल मोदी ने पत्रकारों को बताया कि नमक को सांस के जरिए इनहेल करने से यह सांस की नलियों को खोलता है और छाती में जमा बलगम को पतला कर निकालने में मदद करता है। इससे संक्रमण का खतरा कम होता है और दमा, ब्रोंकाइटिस, एलर्जी और सीओपीडी जैसी बीमारियों में यह गुणकारी विकल्प है और सभी लोग घर पर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
 
उन्होंने बताया कि इन दिनों राजधानी में वायु प्रदूषण का स्तर काफी गंभीर हो गया है और अगर कोई व्यक्ति खुले में 1 घंटा किसी चौराहे पर खड़ा हो जाए तो वह 30 सिगरेटों के बराबर प्रदूषक तत्व अपने भीतर ले जाता है और लंबे समय तक वायु प्रदूषण के कारण जीवन के कम से कम 4-5 साल कम हो जाते हैं।
 
कई शोधों से यह बात सामने आई है कि नमक का इस्तेमाल शरीर की कोशिकाओं की सूजन और संक्रमण को कम करता है और नमक के इसी प्राकृतिक गुण को आम लोगों तक पहुंचाया जाना जरूरी है। गौरतलब है कि नमक का रासायनिक संघटन सोडियम क्लोराइड है और यह हर स्थान पर पाए जाने वाले नमक में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। (वार्ता)