गहरा सकता है बिजली संकट, बड़ी बिजली कंपनियां दिवालिया होने की कगार पर...
नई दिल्ली। देशभर के कई राज्यों में बिजली का बड़ा संकट खड़ा होने की आशंका बढ़ गई है। देश की बड़ी-बड़ी कंपनियां दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गई हैं। बिजली कंपनियों के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने जो डेडलाइन तय की थी, वह 27 अगस्त (सोमवार) को खत्म हो गई है।
केंद्रीय रिजर्व बैंक ने कंपनियों को और समय देने को मना कर दिया है। देश की जानी-मानी कंपनी जिंदल के देश के कई राज्यों में प्लांट मौजूद हैं जिनमें रायपुर (छत्तीसगढ़), नागपुर (महाराष्ट्र), नई दिल्ली व गुजरात शामिल हैं। इसी तरह से प्रयागराज पॉवर कंपनी का प्लांट नोएडा (उत्तरप्रदेश), जेपी पॉवर वेंचर का प्लांट इलाहाबाद (उत्तरप्रदेश) और झाबुआ पॉवर कंपनी का प्लांट मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में है।
रिजर्व बैंक ने फरवरी 2018 में एक सर्कुलर में स्पष्ट किया था कि कर्ज में डूबीं 70 कंपनियां इसे चुकाने में देरी कर रही हैं, तो उन कंपनियों को डिफॉल्टर मानकर उनको कर्ज दी गई रकम को एनपीए (फंसा लोन) घोषित कर दिया जाएगा। यह स्थिति 1 मार्च 2018 से लागू हो गई थी।
बैंकों को ऐसे सभी पिछले मामलों को सुलझाने के लिए 1 मार्च 2018 से 180 दिनों का समय दिया गया था, जो सोमवार (27 अगस्त) को पूरा हो चुका है। इस दौरान कंपनियों और बैंकों के बीच जो मामले नहीं सुलझे उन सभी कंपनियों के खातों को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया में शामिल होने के लिए मजबूर किया जा सकता है। इन खातों में बैंकों का कुल 3,800 अरब रुपए का कर्ज फंसा है।
आरबीआई ने इन 70 कंपनियों को 15 दिन का समय दिया था ताकि वे अपना वकील और रेजोल्यूशन प्रोफेशनल प्वॉइंट कर सकें। अगर इन 15 दिन में कंपनियां कोई समाधान पेश करती हैं और सभी कर्ज देने वाले बैंकों को मंजूर होती हैं, तो इन खातों को कोर्ट नहीं भेजा जाएगा।