#Metoo ने बढ़ाई इन दिग्गजों की मुश्किल, स्मृति ईरानी ने बढ़ाया एमजे अकबर का सिरदर्द
नई दिल्ली/मुंबई। देश में जारी ‘मी टू’ अभियान की लहर आज भी जारी रही और बॉलीवुड के शोमैन सुभाई घई और लेखक-निर्देशक पीयूष मिश्रा भी गुरुवार को निशाने पर आए। कामकाज की जगह पर होने वाले यौन शोषण के खिलाफ चल रही इस मुहिम का आज भी कई लोगों ने समर्थन किया, इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री स्मृति ने अपने साथी मंत्री एम जे अकबर से उनपर लगे यौन शोषण के आरोपों पर चुप्पी तोड़ने को कहा।
तनुश्री दत्ता के यौन उत्पीड़न के आरोपों की शिकायत के बाद गुरुवार को मुंबई पुलिस ने नाना पाटेकर, कोरियोग्राफर गणेश आचार्य सहित अन्य दो के खिलाफ जांच शुरू की।
समाज में जोर पकड़ रहे ‘मी टू अभियान’ का एक प्रकार से समर्थन करते हुए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि इस बारे में आवाज उठाने वालों को इंसाफ मिलना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि इस तरह की आवाज उठाने वाली महिलाओं का उपहास नहीं उड़ाया जाना चाहिए।
ईरानी ने अपने मंत्रिमंडल सहयोगी एम जे अकबर के खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों पर बृहस्पतिवार को कुछ कहने से इनकार कर दिया। किन्तु उन्होंने यह जरूर कहा कि उन महिलाओं के साथ इंसाफ होना चाहिए जो अपनी बात रख रही हैं।
वहीं भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा और कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने मामले पर कुछ भी कहने से मना कर दिया। भाजपा नेता अकबर अभी विदेश दौरे पर हैं। उनके रविवार को वापस लौटने की संभावना है। उन्होंने अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। वहीं माकपा, शिवसेना ने अकबर के इस्तीफे की मांग की हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि 'मी टू' एक बड़ा अभियान है और 'एक बड़ा मुद्दा' है। आगामी 2019 लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार पर इसका बुरा असर पड़ सकता है।
आरएसएस के एक शीर्ष पदाधिकारी ने देश में वर्तमान में चल रहे ‘मी टू’ अभियान को समर्थन दिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर सहकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने आंखी दास के फेसबुक पोस्ट को अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर कर ‘मी टू’ अभियान पर अपने विचार व्यक्त किए। दास फेसबुक की पब्लिक पॉलिसी निदेशक हैं।
दास ने अपने पोस्ट में कहा था, 'जिन महिला पत्रकारों ने अपने उत्पीड़न के बारे में बताया था उनके समर्थन के लिए #मी टू की जरूरत नहीं है। आपको महिला होने की भी जरूरत नहीं है। आपको महज इतना संवेदनशील होने की जरूरत है कि क्या सही है और क्या गलत है।'
भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी सरकार से इस मामले पर निर्णय लेने को कहा। उन्होंने कहा कि वह (अकबर) सरकार का हिस्सा हैं और इस बारे में सरकार ही निर्णय करेगी। विभिन्न समाचार संस्थानों में संपादक पद पर रहते हुए अकबर पर कुछ महिला पत्रकारों के यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल मंत्रिमंडल से उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। (भाषा)