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Last Updated : शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2018 (13:12 IST)

गुजरात की जिद ने ले ली 23 शेरों की जान, काश! मध्यप्रदेश की बात मान ली होती...

गुजरात की जिद ने ले ली 23 शेरों की जान, काश! मध्यप्रदेश की बात मान ली होती... - Lion Gujrat Madhya pradesh
गुजरात के गिर अभयारण्य में हाल ही में एक घातक वीषाणु CDV के कारण 23 शेरों की मौत ने वन्यजीव प्रेमियों को हिलाकर रख दिया है। पहली नजर में देखें तो इसके लिए गुजरात सरकार की जिद और लापरवाही ही ज्यादा जिम्मेदार है। यदि सुप्रीम कोर्ट की बात मानकर गुजरात ने समय रहते कुछ शेरों को मध्यप्रदेश के कूनो अभयारण्य भेज दिया होता तो शायद इनमें से कुछ की जान तो बच ही जाती।
 
गुजरात सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की बात मानना तो दूर बल्कि उसने इस मामले में लगातार अड़ंगे ही लगाए। दूसरी ओर मध्यप्रदेश सरकार ने एशियाई शेरों को कूनो लाने के लिए कानूनी लड़ाई तो लड़ी, लेकिन केन्द्र में 'गुजराती' नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद राज्य का नेतृत्व असहाय हो गया और इस लड़ाई को अंजाम तक नहीं पहुंचा पाया। आज तक कूनो को गिर के शेरों का इंतजार है। 
 
कितना खतरनाक है सीडीवी : कैनाइन डिस्टेम्पर विषाणु (CDV) से फैलने वाली बीमारी संक्रामक है। इससे पशु प्रजातियां प्रभावित होती हैं। इस बीमारी से पशु की श्वसन प्रणाली, आंतें और तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरॉलजी पुणे की शुरुआती रिपोर्ट में चार शेरों में घातक वायरस सीडीवी की पुष्टि भी हुई है।
 
इस वायरस के कारण तंजानिया के सेरेंगेती रिजर्व में 1994 के दौरान 1000 शेरों की मौत हुई थी। ‍दूसरी ओर विशेषज्ञों का मानना है कि कूनो का वातावरण शेरों के लिए ज्यादा अनुकूल है। इसलिए एशियाई शेरों को इस अभयारण्य में बसाने की बात कही जा रही है, जबकि गुजरात इस मामले में लगातार अड़ंगे लगा रहा है। 
 
क्या कहा था अदालत ने : सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2013 में अपने फैसले में कहा था कि 6 माह के भीतर एशियाटिक लॉयन को मध्यप्रदेश के पालपुर कूनो अभयारण्य में शिफ्ट किया जाए। लेकिन, गुजरात सरकार की लगातार आपत्तियों के चलते ऐसा नहीं हो पाया। 
 
दरअसल, केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार भी दबाव के चलते इस मामले में कुछ खास नहीं कर पाई। इस मामले में नेता प्रतिपक्ष अजयसिंह ने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि असल बात तो यह है कि शिवराज सरकार मोदीजी से पंगा नहीं चाहती। चाहे नर्मदा बांध की ऊंचाई हो या फिर शेरों की शिफ्टिंग का मामला हो। शिवराज हमेशा चुप्पी साध लेते हैं। 
 
कितने हैं गिर में शेर : 2015 की गणना के मुताबिक गुजरात के गिर अभयारण्य और इसके आसपास के क्षेत्रों में एशियाई शेरों की संख्या बढ़कर 523 हो गई है, जो कि 2010 की तुलना में 27 प्रतिशत अधिक है। 2010 में हुई शेरों की गिनती में यह संख्‍या 411 थी, जिसमें 97 नर, 162 मादा और 152 शावक थे। 1968 की गणना में यहां 177 शेर थे, जो 1974 में बढकर 180, 1979 में 205, 1985 में 239 और 1990 की गणना में 284 तक पहुंच गए थे।
 
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