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Last Modified: नई दिल्ली , शुक्रवार, 1 सितम्बर 2023 (15:35 IST)

पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को उम्रकैद, डबल मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला

supreme court
Prabhunath Singh Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में बिहार के सारण जिले में विधानसभा चुनाव के मतदान के दिन 2 लोगों की हत्या करने के मामले में राज्य के पूर्व लोकसभा सदस्य प्रभुनाथ सिंह को शुक्रवार को उम्रकैद की सजा सुनाई।
 
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि बिहार के महाराजगंज से कई बार सांसद रहे सिंह और बिहार राज्य को मारे गए दोनों लोगों के परिवारों को अलग अलग 10-10 लाख रुपए का मुआवजा देना होगा तथा मामले में घायल व्यक्ति को 5 लाख रुपए देने होंगे।
 
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा, 'ऐसा मामला इससे पहले कभी नहीं देखा था।'
 
शीर्ष अदालत ने 18 अगस्त को सिंह को हत्या के मामले में बरी करने के निचली अदालत और पटना उच्च न्यायालय के फैसलों को पलटते हुए उन्हें दोषी करार दिया था।
 
सिंह की उम्र के बारे में शीर्ष अदालत द्वारा पूछे जाने पर एक वकील ने बताया कि वह 70 वर्ष के हैं। मामले में सिंह को दोषी करार देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह एक ऐसे मामले से निपट रहा है जो ‘‘हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली का बेहद दर्दनाक प्रकरण’’ है।
 
शीर्ष अदालत ने कहा था कि इसमें जरा भी संदेह नहीं है कि सिंह ने अपने खिलाफ सबूतों को ‘‘मिटाने’’ के लिए किये गये हरसंभव प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अभियोजन तंत्र के साथ निचली अदालत के पीठासीन अधिकारी को भी एक औजार की तरह इस्तेमाल किया।
 
शीर्ष अदालत ने कहा था कि इस आपराधिक मुकदमे में तीन मुख्य पक्षकार - जांच अधिकारी, लोक अभियोजक और न्यायपालिका - अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में ‘‘पूरी तरह से नाकाम’’ रहे हैं।
 
पीठ ने पूर्व विधायक सिंह को दरोगा राय और राजेंद्र राय की हत्या और एक महिला की हत्या के प्रयास के लिए दोषी ठहराया था।
 
पीठ ने कहा था कि 25 मार्च 1995 को राजेंद्र राय के बयान के आधार पर छपरा में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिन्होंने कहा था कि वह आठ-नौ अन्य ग्रामीणों के साथ वोट देकर लौट रहे थे, तभी एक कार उनके पास आकर रुकी।
 
आरोप है कि उस वक्त बिहार पीपुल्स पार्टी के उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ रहे सिंह उस कार में मौजूद थे और वह यह जानना चाहते थे कि उन लोगों ने किसे वोट दिया था।
 
प्राथमिकी के अनुसार, जब राय ने कहा कि उन्होंने किसी दूसरी राजनीतिक पार्टी के नेता के पक्ष में वोट दिया है तो सिंह ने अपनी राइफल से गोली चलाई, जिससे तीन लोग घायल हो गए। घायलों में से राजेंद्र राय समेत 2 की बाद में इलाज के दौरान मौत हो गई, इसलिए मामले में आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या का अपराध भी जोड़ा गया।
 
शीर्ष अदालत ने पटना उच्च न्यायालय के दिसंबर 2021 के फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर 18 अगस्त को अपना फैसला सुनाया था, जिसने एक पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया था और मामले में आरोपियों को बरी करने के निचली अदालत के आदेश की पुष्टि की थी।
 
शीर्ष अदालत ने मामले में अन्य आरोपियों को बरी करने के फैसले को नहीं बदला और कहा कि इन आरोपियों के नाम न तो राजेंद्र राय के मृत्यु पूर्व दिए गए बयान में और न ही अदालत में गवाह रहीं उनकी मां के बयान में शामिल थे।
 
बिहार की राजधानी पटना के उच्च-सुरक्षा वाले क्षेत्र में 1995 में जनता दल के विधायक अशोक सिंह के आवास पर उनकी हत्या करने के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद प्रभुनाथ सिंह वर्तमान में हजारीबाग जेल में बंद हैं।
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