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पुनः संशोधित: मंगलवार, 21 फ़रवरी 2023 (19:53 IST)

तुर्किए की भूकंप पीड़ित महिला ने कहा- मेरे लिए सबसे पहले अल्लाह, दूसरे नंबर पर भारत

तुर्किए गई भारत की बचाव टीम ने साझा किए प्रधानमंत्री मोदी से मार्मिक अनुभव

नई दिल्ली। अल्लाह के बाद मेरे लिए आप ही हैं... जानते हैं मैंने आपका हाथ क्यों चूमा? क्योंकि आप मेरे लिए पिता समान हैं... आपको हमारी आने वाली जनरेशन हमेशा याद रखेगी... जितना ईश्वर को धन्यवाद करती हूं, उतना ही आपको भी करती हूं...
 
ये महज जुमले नहीं हैं, बल्कि तुर्किए के भूकंप पीड़ितों के दिल की गहराई से निकले अलफाज़ हैं, जो उन्होंने 'भारतीय मददगारों' के लिए कहे। दरअसल, भारतीय सेना की मेडिकल टीम, एनडीआरएफ और भारतीय वायुसेना के कर्मियों ने जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ तुर्किए के अनुभव साझा किए तो इस तरह की बातें सामने आईं।
 
लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक के एक अधिकारी ने कहा कि मैं जब राउंड ले रहा था तो एक व्यक्ति मेरे पास आया और उसने मेरे दोनों हाथों को पकड़कर अपनी आंखों से लगाया और उन्हें चूम लिया। फिर मुझसे सवाल किया कि क्या आप जानते हैं मैंने ऐसा क्यों किया? मैंने कहा- आप मुझे इज्जत दे रहे हैं। उसने कहा- नहीं, इससे साबित होता है कि आप मेरे लिए पिता समान हैं। ऐसा सुनकर मैं गदगद हो गया। 
 
उसने आगे कहा- मैं इस देश की यंग जनरेशन हूं, आपको भरोसा दिलाता हूं कि आपके देश ने जो काम हमारे लिए किया है, उसके लिए आने वाली जनरेशन भी आपको हमेशा याद रखेगी। एनडीआरएफ की महिला अधिकारी ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि तुर्किए में एक महिला ने मुझसे कहा था- पहले अल्लाह है, उसके बाद हमारे लिए भारत है। 
टीम के एक अन्य सदस्य ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि हमने 80 और 104 घंटे बाद 2 बच्चियों को मलबे से जिंदा बचाया। एक सिख अधिकारी ने कहा कि आपने हमारे लौटते समय तालियों की गड़गड़ाहट तो खूब सुनी होगी, लेकिन जब हम वहां से रवाना हो रहे थे, तो लोग रो रहे थे।
 
मेडिकल टीम से जुड़ी एक महिला अधिकारी ने बताया कि एक महिला 72 घंटे से ज्यादा समय तक मलबे में रही थी। हमने उसे वहां से निकाला और अस्पताल में भर्ती किया। ठीक होने के बाद अस्पताल से जाते समय वह भावुक हो गई और उसने कहा कि मैं जितना अल्लाह को धन्यवाद करती हूं, वैसा ही धन्यवाद आपको भी करती हूं।
 
भारतीय टीम के जज्बे का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक महिला कर्मी अपने जुड़वां बच्चों को छोड़कर तुर्किए के बचाव मिशन के लिए गई थी। इनमें से टीम के कई सदस्य ऐसे थे, जिन्होंने पहली बार पासपोर्ट बनाया था। 
 
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