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फिर टूट गए भारत-पाक संबंध, जानिए क्यों...

फिर टूट गए भारत-पाक संबंध, जानिए क्यों... - India-Pakistan talks
नई दिल्ली। पाकिस्तान द्वारा सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज को भारत नहीं भेजने के फैसले के साथ ही दोनों देशों के बीच बातचीत के रास्ते एक बार फिर बंद हो गए। आइए डालते हैं उन कारणों पर एक नजर जिन वजहों से भारत-पाकिस्तान वार्ता शुरू नहीं हो सकी...
पाकिस्तान की जिद : पाकिस्तान एनएसए वार्ता से पहले अलगाववादियों से बातचीत चाहता है। वह यह भी चाहता था कि वार्ता में कश्मीर मुद्दा उठाकर उसे लक्ष्य से भटका दिया जाए। इसी जिद की वजह से उसने अलगाववादी नेताओं को सरताज अजीज के रिसेप्शन में शामिल होने का न्योता भेजा। इससे भारत-पाकिस्तान के मतभेद खुलकर सामने आ गए और एनएसए स्तरीय बातचीत शुरू होने से पहले ही खत्म हो गई। वार्ता खत्म होने से पहले ही पाक एनएसए सरताज अजीज का यह कहना कि वार्ता से उन्हें कोई उम्मीद नहीं है, भी पाक के अड़ियल रूख का दर्शाता है।
 

शिमला और उफा समझौते का उल्लंघन : शिमला समझौते में साफ कहा गया है कि दोनों देश आपसी मुद्दों को सुलझाने के‍ लिए किसी तीसरे पक्ष की मदद नहीं लेंगे, लेकिन पाकिस्तान एनएसए वार्ता से पहले अलगाववादियों से चर्चा कर इस समझौते का खुला उल्लंघन कर रहा था। इतना ही नहीं जिस उफा समझौते की वजह से भारत-पाकिस्तान एनएसए वार्ता होने जा रही थी उसमें भी कहा गया था कि इस वार्ता में आतंकवाद पर ही चर्चा होगी। पाक इसके लिए तैयार नहीं था और उसने बातचीत के रास्ते एक बार फिर बंद कर दिए।

बढ़ता आतंकवाद और संघर्ष विराम का उल्लंघन : उफा समझौते के बाद से ही पाकिस्तान लगातार सीमा पर गोलीबारी कर संघर्ष विराम का उल्लंघन कर रहा था। वह न केवल चौकियों पर गोलीबारी कर रहा है बल्कि मासूम गांववालों पर गोलीबारी कर दहशत भी फैला रहा है। इस गोलीबारी की आड़ में उसने जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। पाकिस्तान से आतंक मचाने आए एक आतंकी को जिंदा पकड़कर भारत ने पाक के मंसूबों पर पानी फेर दिया था। सुषमा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब यह कहा कि आप डोजियर देंगे तो हम जिंदा व्यक्ति देंगे। इस बात से पाकिस्तान डर गया और उसने एनएसए वार्ता रद्द कर दी।

दबाव में टूट गया पाकिस्तान : उफा समझौते के बाद पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को उनके देश में भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। उन पर राजनीतिक दबाव के साथ ही सैन्य दबाव भी अचानक बढ़ गया। सेना ने सीमा पर हलचल तेज कर दी। इससे आतंकियों के हौसले बुलंद हो गए और नतीजे में भारत को गुरदासपुर और उधमपुर में आतंकी हमलों का दंश झेलना पड़ा। दूसरी ओर उफा के बाद 91 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन करने पर पाकिस्तान के साथ एनएसए वार्ता को रद्द करने का विपक्ष द्वारा भारतीय नेतृत्व पर दबाव पड़ा। इसके बाद गुरदासपुर और उधमपुर में हुए आतंकी हमलों के बाद भी ऐसा दबाव बना लेकिन सरकार उस दबाव को भी झेल गई क्योंकि वह चाहती है कि बातचीत का सिलसिला चले और मुद्दों का समाधान हो।