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Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Modified: बुधवार, 22 जुलाई 2020 (14:30 IST)

Ground Report: समझौते की धज्जियां उड़ा रहा है चीन, कई भारतीय इलाके अभी भी नहीं किए खाली

Ground Report: समझौते की धज्जियां उड़ा रहा है चीन, कई भारतीय इलाके अभी भी नहीं किए खाली - Ground Report : China has not moved back
जम्मू। चीनी सेना ने लद्दाख सेक्टर में अपने ही समझौतों की धज्जियां उड़ानी आरंभ की हैं। दोनों सेनाओं के बीच हुए समझौतों के बावजूद उसने फिलहाल उन क्षेत्रों को पूरी तरह से खाली नहीं किया है, जहां विवाद चल रहा है। कई इलाकों में वह कुछ मीटर पीछे हटकर जम गई है तो कई इलाकों में वह आ-जा रही है। उल्लेखनीय है कि दोनों देशों के बीच सेनाओं को पीछे हटाने पर सहमति बनी है। 
 
विवादित तथा कब्जाए गए इलाकों से चीनी सेना को हटने के लिए कोर कमांडर लेवल की बातचीत में मना लिया गया था। कुछ समझौते भी हुए। भारतीय पक्ष ने समझौतों का अक्षरशः पालन करते हुए उन इलाकों में गश्त तक करना छोड़ दिया पर चीनी सेना ने ठीक पाकिस्तानी सेना की ही तरह, समझौतों की धज्जियां उड़ा दीं।
 
सेना सूत्र कहते हैं कि चीनी सेना पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 और 15 से ही कुछ किमी पीछे हटी है पर अन्य इलाकों से वह अपने कदम हटाने को तैयार नहीं है। हाटस्प्रिंग, फिंगर 4, वाय जंक्शन तथा देपसांग जैसे ऐसे इलाके हैं, जहां वह पिछले कई महीनों से हजारों सैनिकों व तोपखानों व टैंकों व मिसाइलों के साथ आ डटी है।
 
इनमें से कुछेक स्थानों पर उसने कोर कमांडर लेवल की वार्ता के आखिरी दौरे के बाद कदम पीछे तो हटाए हैं पर वे वैसे नहीं थे, जिसका समझौता हुआ था। वह कुछ सौ मीटर पीछे हटने के उपरांत फिर जमकर बैठ गई। जबकि भारतीय सेना को समझौते का पालन करवाकर वह बफर जोन बनवाने में कामयाब रही थी।
 
एक सैन्य अधिकारी के अनुसार, भारतीय पक्ष भी समझौता तोड़ने पर मजबूर हो सकता है क्योंकि लद्दाख के कई इलाकों में चीनी सेना की मौजूदगी भारतीय पक्ष के लिए खतरा साबित हो सकती है।
 
भारतीय सेना ने भी शुरू की तैयारियां : वे मानते थे कि चीनी सेना की इन हरकतों और समझौतों का पालन न करने की परिस्थिति में भारतीय सेना ने भी अब सर्दियों में भी लद्दाख के इन सेक्टरों में डटे रहने और भारतीय सीमा की रक्षा करने की तैयारियां आरंभ कर दी हैं।
 
इन तैयारियों के लिए सियाचिन व कारगिल में इस्तेमाल किए जाने वाले तंबुओं को गाड़ा जा रहा है जो सैनिकों को शून्य से 40 डिग्री नीचे के तापमान में भी गर्मी का अहसास करवाते हैं। ठीक इसी प्रकार के बंकरों का निर्माण भी तेज कर दिया गया है।
 
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