नागपुर। कर्नाटक के साथ बढ़ते सीमा विवाद के बीच महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार 1 इंच जमीन के लिए भी लड़ेगी। फडणवीस ने महाराष्ट्र विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार कर्नाटक में मराठीभाषी लोगों के प्रति न्याय सुनिश्चित करने के लिए जो कुछ भी कर सकती है, वह करेगी।
महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद की गूंज सोमवार को यहां विधानसभा में भी सुनाई दी। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर एक प्रस्ताव पेश करने की मांग की। उल्लेखनीय है कि कर्नाटक विधानसभा ने गुरुवार को सीमा विवाद को लेकर सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित करके राज्य के हितों की रक्षा करने और पड़ोसी राज्य को 1 इंच जमीन नहीं देने का संकल्प लिया था।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई द्वारा पेश प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। प्रस्ताव में कहा गया है कि सीमा विवाद महाराष्ट्र ने खड़ा किया है। सोमवार को महाराष्ट्र विधानभा में इस मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने पूछा कि सरकार सीमा विवाद पर प्रस्ताव पेश क्यों नहीं करती जबकि कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में तय हो गया था कि शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह में वह प्रस्ताव पेश करेगी। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव पेश किया जाना सोमवार की कार्यसूची में भी शामिल नहीं है। पवार ने कहा कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री के बयान ने महाराष्ट्र के गौरव को ठेस पहुंचाई है।
उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता जयंत पाटिल के निलंबन का संदर्भ देते हुए कि कहा कि पिछले सप्ताह इसलिए प्रस्ताव पेश नहीं किया जा सका, क्योंकि स्थिति अनुकूल नहीं थी। पाटिल को विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के बारे में की गई टिप्पणी के लिए गुरुवार को सत्र से निलंबित कर दिया गया था।
फडणवीस ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एक आधिकारिक समारोह में शामिल होने के लिए दिल्ली में थे जिसके कारण सदन में प्रस्ताव पेश नहीं किया जा सका। उन्होंने सदन को आश्वासन दिया कि सीमा विवाद पर एक प्रस्ताव सोमवार या मंगलवार को पेश किया जाएगा।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक फडणवीस ने कहा कि हम 1 इंच के लिए भी लड़ेंगे। कर्नाटक में मराठीभाषी आबादी के प्रति न्याय के लिए हम जो कुछ भी कर सकते हैं, करेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर 1 इंच भी पीछे नहीं हटेगी।
उद्धव ने कहा कर्नाटक के कब्जे वाले महाराष्ट्र के इलाकों को केंद्रशासित प्रदेश घोषित करे केंद्र : नागपुर में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सोमवार को राज्य विधान परिषद में कहा कि केंद्र सरकार को कर्नाटक के कब्जे वाले महाराष्ट्र के क्षेत्रों को केंद्रशासित प्रदेश घोषित कर देना चाहिए।
महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद पर उच्च सदन में अपनी बात रखते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता ने कहा कि यह केवल भाषा और सीमा का नहीं, बल्कि मानवता का मामला है। सीमावर्ती गांवों में कई पीढ़ियों से मराठीभाषी लोग रह रहे हैं और उनकी जीवनशैली तथा भाषा मराठी है।
ठाकरे ने कहा कि जब तक मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है कि कर्नाटक के कब्जे वाले महाराष्ट्र के क्षेत्रों को केंद्र सरकार को केंद्रशासित क्षेत्र घोषित कर देना चाहिए। उन्होंने इस मामले में राज्य सरकार के रुख पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री (एकनाथ शिंदे) ने इस मुद्दे पर एक भी शब्द कहा है।
ठाकरे ने परोक्ष रूप से कर्नाटक सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मामला अदालत में है और इस पर यथास्थिति बनी हुई है, लेकिन माहौल कौन बिगाड़ रहा है? कर्नाटक विधानसभा ने इस रुख को दोहराया है कि सीमा का मुद्दा सुलझा हुआ है और 1 इंच भी जमीन पड़ोसी राज्य को नहीं दी जाएगी।
ठाकरे ने दोनों राज्यों के संरक्षकों के रूप में केंद्र सरकार की भूमिका पर सवाल खड़ा करते कहा कि क्या केंद्र सरकार ने संरक्षक की भूमिका निभाई? हम चाहते हैं कि वह ऐसी भूमिका निभाए। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों सदनों के सदस्यों को महाजन आयोग की रिपोर्ट पढ़नी चाहिए। जब बेलगावी नगर निगम ने महाराष्ट्र के साथ विलय का प्रस्ताव पारित किया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की गई।
ठाकरे ने कहा कि इसी तरह महाराष्ट्र की कुछ ग्राम पंचायतों ने तेलंगाना के साथ विलय की मांग की है। क्या शिंदे सरकार में इन ग्राम पंचायतों के खिलाफ कार्रवाई करने का जरा भी साहस है? इस दौरान विधान परिषद की अतिथि दीर्घा में राज्यसभा सदस्य और उद्धव नीत शिवसेना के नेता संजय राउत बैठे थे।
भाषायी आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के बाद 1957 से ही दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद है। महाराष्ट्र पूर्ववर्ती बंबई प्रेसीडेंसी का भाग रहे बेलगावी पर दावा करता है, क्योंकि वहां बड़ी संख्या में मराठीभाषी लोग रहते हैं। वह कर्नाटक के 800 से ज्यादा मराठीभाषी गांवों पर भी दावा करता है। लेकिन कर्नाटक का कहना है कि सीमांकन, राज्य पुनर्गठन कानून और 1967 की महाजन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भाषायी आधार पर किया गया था, जो अंतिम है।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta