पढ़िए कैप्टन तुषार महाजन की शहादत की कहानी
श्रीनगर से सटे पंपोर कस्बे में आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हुए 9 पैरा कमांडो कैप्टन तुषार महाजन बचपन से ही सेना में जाकर देश की सेवा और देश के दुश्मनों को धूल चटाना चाहते थे। उनके दोस्त आज भी स्कूल में लिखा उनका वह निबंध याद करते हैं, जिसमें उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य सेना में भर्ती होना बताया था।
शहीद तुषार के साथ पढ़े उनके बचपन के दोस्त सुशांत बताते हैं कि सेना में जाना ही उसका लक्ष्य था। यह जुनून उस पर इस कदर सवार था कि जब क्लास में उससे निबंध लिखने को कहा गया तो उसने लिखा कि उसका लक्ष्य सेना में भर्ती होकर आतंकियों का खात्मा करना है। वह भी ऐसी उम्र में, जब बाकी बच्चों को पता भी नहीं था कि सेना क्या होती है और आतंकवादी कौन हैं?
उधमपुर में जब तिरंगे में लिपटा शहीद कैप्टन तुषार महाजन का पार्थिव शरीर पहुंचा तो सबसे पहले सेना ने देश के इस वीर सपूत को आखिरी विदाई दी। जब शहीद कैप्टन के परिवार वाले श्रद्धांजलि देने पहुंते तो माहौल बेहद भावुक हो गया। शहीद बेटे का कफन देखकर कैप्टन तुषार महाजन की मां फूट-फूटकर रो पड़ीं।
तुषार के पिता और रिटायर्ड स्कूल प्रिंसिपल देवराज ने सेना के प्रति उनकी दीवानगी के बारे में बताया कि वह हमेशा से सेना में जाना चाहता था, इसलिए 16 साल की उम्र में ही जब एनडीए के लिए उसका सिलेक्शन हो गया तो हमने उसे रोका नहीं। बेटे के जाने के दु:ख में डूबे होने के बावजूद देव राज के चेहरे पर कहीं भी अफसोस के भाव नहीं थे। उन्होंने कहा कि उनके बेटे पर पूरे देश के साथ-साथ उसके शहर को भी गर्व है।
तुषार के पिता ने कहा कि देश के लिए जान कुर्बान करने का गर्व बहुत कम लोगों को ही नसीब होता है। शहीद तुषार के पिता ने देश के नेताओं से अपील की है कि उनके बेटे की शहादत बेकार नहीं जानी चाहिए और चीजों को ठीक किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि उन्हें नहीं मालूम था कि पंपोर में चल रहे सेना के ऑपरेशन में उनका बेटा भी शामिल था। शहीद कैप्टन तुषार महाजन का परिवार जम्मू के उधमपुर में रहता है।
बता दें कि आतंकियों के साथ मुठभेड़ में कैप्टन रैंक के सेना के 2 अधिकारी और एक लांस नायक शहीद हो गए। ये सभी सेना के एलीट पैरा बल से जुडे थे। कैप्टन पवन कुमार आतंकियों के साथ तड़के हुई मुठभेड में शहीद हो गए, जबकि कैप्टन तुषार महाजन और लांस नायक ओम प्रकाश दोपहर बाद मुठभेड़ में शहीद हुए।