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Written By WD

मशहूर रंगकर्मी हबीब तनवीर नहीं रहे

मशहूर नाट्टकर्मी
- वेबदुनिया न्यू/भाष
मशहूर नाट्‍यकर्मी हबीब तनवीर का यहाँ लंबी बीमारी के बाद सोमवार को तड़के निधन हो गया। वे 85 वर्ष के थे। थिएटर की दुनिया पर एक अमिट छाप छोड़ने वाले हबीब तीन सप्ताह से बीमार थे।

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हबीब तनवीर को पहले हजेला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में डॉक्टरों की सलाह पर उन्हें नेशनल अस्पताल ले जाया गया। उन्होंने जब आखिरी साँस ली, तब उनकी बेटी नगीन उनके पास मौजूद थीं।

पहले उन्हें साँस लेने में कुछ तकलीफ हो रही थी और इसके इलाज के लिए उन्हें अस्पताल ले जाया गया था, पर बाद में उनकी हालत बिगड़ गई और उन्हें चार दिनों से वेंटिलेटर पर रखा गया।

बहुमुखी प्रतिभा के धनी हबीब ने पत्रकारिता से अपने करियर की शुरुआत की। बाद में उन्होंने रंगमंच की दुनिया में कदम रखा, जहाँ उन्होंने रंगमंच को 'जिन लाहौर नईं वेख्या, ते जन्म्या नईं' और 'आगरा बाजार' जैसे कई कालजयी नाटक दिए।

प्यार और अकीदत से लोग उन्हें 'हबीब साहब' कहते थे। उन्होंने फिल्मों के क्षेत्र में भी अपने हाथ आजमाए। कुछ फिल्मों की पटकथा लिखने के अलावा उन्होंने चंद फिल्मों में अभिनय भी किया था।

हबीब वर्षों से इप्टा से भी जुडे रहे। उन्होंने देशभर में कई नाटकों का मंचन किया और उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा भी गया। 1 सितंबर 1923 को रायपुर (अब छत्तीसगढ़ में) में हफीज अहमद खान के घर हबीब का जन्म हुआ। उनके पिता पेशावर से आकर रायपुर में बस गए थे। वे 1972 से 1978 तक राज्यसभा के अपर हाउस के सदस्य भी रहे।

तनवीर देशभर में एक बड़े रंगकर्मी के रूप में पहचाने जाते थे। उन्होंने कई फिल्मों में अभिनय भी किया। 'पोंगा पंडित' नामक नाटक को साम्प्रदायिकता का रंग दे दिया गया था और इसे लेकर कौमी दंगा तक भड़क गया था।

बहुत कम लोग जानते हैं कि तनवीर के नाटक 'जिन लाहौर नईं वेख्या, ते जन्म्या नईं' में जिसने लड़की का किरदार निभाया था, असल में वह लड़का था। विभाजन की त्रासदी पर आधारित इस नाटक में लड़की को मर्दाना आवाज में अपना दु:ख व्यक्त करना था और यही कारण था कि इस भूमिका के लिए एक पुरुष का चयन करना पड़ा।

हबीब तनवीर के बारे में अन्य जानकार
नाटक : आगरा बाजार, शतरंज के मोहरे, लाला सोहरत राय, मिट्टी की गड्डी, चरणदास चोर, उत्तर राम चरित्र, बहादुर कलारीन, पोंगा पंडित, 'जिन लाहौर नईं वेख्या, ते जन्म्या नईं', कामदेव का अपना बसंत ऋतु का सपना, जहरीली हवा, राज रक्त।

फिल्मोग्राफी : हबीब तनवीर ने अपने नाटक 'चरणदास चोर' पर बनी फिल्म के अलावा और सुभाष घई की फिल्म 'ब्लैक एंड व्हाइट' में अपने अभिनय की छाप छोड़ी।

पुरस्कार : हबीब को 1969 में संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड, 1983 में पद्मश्री, 1996 में संगीत नाटक अकादमी की फैलोशिप मिली और 2002 में उन्हें पद्मभूषण पुरस्कार से नवाजा गया।

अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार : हबीब को उनके नाटक 'चरणदास चोर' के लिए 1982 में एडिंगबर्ग इन्टरनेशनल ड्रामा फेस्टिवल में फ्रिंज फस्ट अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया था।

थिएटर के विश्वकोष हबीब तनवीर