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Written By भाषा

नीतीश कटारा हत्याकांड: घटनाक्रम

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16-17 फरवरी 2002 : विकास, उसके चचेरे भाई विशाल और उसके सहयोगी सुखदेव पहलवान ने गाजियाबाद में एक विवाह समारोह से आईएएस अधिकारी के पुत्र नीतीश कटारा (24) का अपरहण कर उसकी हत्या कर दी।

17 फरवरी 2002 : अपने बेटे नीतीश के पार्टी से रहस्यमय ढंग से गायब हो जाने के बाद नीलम कटारा ने गाजियाबाद के कविनगर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई। उन्होंने उत्तरप्रदेश के नेता डीपी यादव और अन्य पर संदेह व्यक्त किया। पुलिस ने बुलंदशहर जिले के खुर्जा में एक अज्ञात शव बरामद किया।

20 फरवरी 2002 : विकास और विशाल को फरार घोषित करने की प्रक्रिया शुरू।

21 फरवरी 2002 : नीलम कटारा ने शव की पहचान की।

23 फरवरी 2002 : विकास और विशाल मध्यप्रदेश में डबरा रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार।

25 फरवरी 2002 : आरोपी भाइयों का बयान दर्ज किया गया।

26 फरवरी 2002 : गाजियाबाद में सीजेएम अदालत ने हिरासत में पूछताछ के लिए आरोपियों को रिमांड पर भेजा।

28 फरवरी 2002 : आरोपियों की निशानदेही पर अपराधस्थल से पीड़ित की घड़ी और एक हथौड़ा बरामद किया गया।

11 मार्च 2002 : पुलिस ने करनाल में एक फैक्टरी से एक टाटा सफारी बरामद, की जिसका उपयोग कथित तौर पर अपराध के लिए किया गया।

तीन मई 2002 : पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 364 (अपहरण), 201 (तथ्यों से छेड़छाड़) और 34 (साझा इरादा) के तहत आरोप-पत्र दाखिल किया।

मई 2002 उच्चतम न्यायालय ने नीलम कटारा की याचिका पर मामला पटियाला हाउस में स्थानांतरित किया।

23 नवंबर 2002 : आरोपियों के खिलाफ आरोप तय।

दिसंबर 2002 : अभियोजन ने साक्ष्य दर्ज करने शुरू किए।

29-30 नवंबर 2006 : आरोपी की बहन भारती यादव अदालत में पेश।

19 अप्रैल 2007 : अजय कटारा सहित 43 गवाहों से जिरह के बाद गवाहों के बयान दर्ज किए जाने की प्रक्रिया पूरी।

20 अप्रैल 2007 : दोनों आरोपियों के बयान दर्ज होने शुरू।

15 मई 2007 : आरोपियों के बयान दर्ज किए जाने की प्रक्रिया पूरी।

30 मई 2007 : बचाव पक्ष के गवाहों से जिरह शुरू।

छह दिसंबर 2007 : अभियोजन पक्ष ने आखिरी बहस पूरी की।

16 अप्रैल 2008 : बचाव पक्ष ने आखिरी बहस पूरी की।

30 अप्रैल 2008 : अभियोजन एवं बचाव पक्ष की लिखित दलीलें पेश। अदालत ने फैसला सुनाने के लिए 14 मई की तारीख मुकर्रर की।

12 मई 2008 : विकास ने स्टिंग ऑपरेशन के मद्देनजर अजय कटारा से फिर से जिरह के लिए आवेदन किया। स्टिंग में कथित तौर पर कहा गया था कि गवाह ने पैसे लिए थे।

14 मई 2008 : अदालत ने विकास की याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया।

24 मई 2008 : अजय कटारा द्वारा सीडी की सामग्री और उसके तथ्यों को स्वीकार किए जाने के बाद विकास की याचिका खारिज।

26 मई 2008 : आरोपी ने इस मुद्दे पर नई याचिका दायर की।

27 मई 2008 : अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रवींद्र कौर ने आवेदन खारिज किया और फैसला सुनाने के लिए 28 मई की तारीख मुकर्रर की। आरोपी ने सुनवाई अदालत को फैसला सुनाने से रोकने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय से अनुरोध किया।

28 मई 2008 : सुनवाई अदालत ने विकास और विशाल को हत्या अपहरण और मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का दोषी ठहराया। सजा की अवधि की घोषणा 30 मई को की जाएगी।