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Written By WD

कुरैशी की याचिका पर केन्द्र को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

कुरैशी की याचिका पर केन्द्र को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस -
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नई दिल्ली। उत्तराखंड के राज्यपाल अजीज कुरैशी ने अभूतपूर्व कदम उठाते हुए भारत सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दायर की थी, उसकी सुनवाई गुरुवार से शुरू हुई। कुरैशी के इस कदम के बाद राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि आने वाले समय संवैधानिक टकराव के साथ ही इस मामले में राजनीतिक रंग भी देखने को मिल सकते हैं

कुरैशी की ओर से अदालत में अभिभाषकगण विवेक तनखा, कपिल सिब्बल और सलमान खुर्शीद की मौजूदगी से इस बात को और ज्यादा बल मिला है क्योंकि सिब्बल और खुर्शीद यूपीए सरकार में मंत्री रह चुके हैं, वहीं तनखा जबलपुर से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं।

राज्यपाल पद से हटाए जाने के बढ़ते दबाव को देखते हुए कुरैशी ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने मोदी सरकार को जवाब देने के लिए 6 सप्ताह का वक्त दिया है।

कुरैशी ने केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा कि राज्यपाल केंद्र सरकार का कर्मचारी नहीं होता। सरकार किसी भी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को नहीं हटा सकती। राज्यपाल का पद भी एक संवैधानिक पद है और इस पद से किसी भी व्यक्ति को हटाने का अधिकार सिर्फ राष्ट्रपति को होता है।

उत्तरांचल के राज्यपाल कुरैशी ने सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार के मुख्य सचिव कैबिनेट सेक्रेटरी (राष्ट्रपति भवन), अनिल गोस्वामी (सचिव, गृह मंत्रालय, नार्थ ब्लॉक) और उत्तराखंड के मुख्य सचिव (सचिवालय, देहरादून) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस सरकार की अगुआई में संप्रग सरकार ने देश में कई राज्यपालों की जो नियुक्तियां की थी, उन्हें भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने 16 मई को सत्ता संभालते ही बदलने की शुरुआत कर दी थी। केंद्र की मोदी सरकार ने गोवा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश और हरियाणा के राज्यपालों को बदला।

राम नाईक को उत्तरप्रदेश का राज्यपाल बनाया गया जबकि ओमप्रकाश कोहली को गोवा, केशरीनाथ त्रिपाठी को पश्चिम बंगाल, बलराम दास को छत्तीसगढ़ और कप्तान सिंह सोलंकी को हरियाणा का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। केंद्र सरकार द्वारा उत्तराखंड के राज्यपाल कुरैशी पर दबाव बनाया जाता, उससे पहले ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की शरण ले ली। (वेबदुनिया न्यूज)