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Written By अरविन्द शुक्ला

कुंभ मेला और स्मारक घोटालों की हो सीबीआई जांच

कुंभ मेला
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लखनऊ। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेई ने कुंभ मेला 2013 व स्मारक घोटाले पर आई कैग रिपोर्ट के आधार पर सपा और बसपा पर बड़ा हमला बोला है। डॉ. बाजपेई ने उक्त रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच की मांग की। भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी को एक ही थैली के चट्टे-बट्टे बताया है।

डॉ. बाजपेई ने भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक के प्रतिवेदन पर भारतीय जनता पार्टी, उप्र का मत में तर्क दिए कि महाकुंभ मेला 2013 इलाहाबाद (14/01/2013 से 10/03/2013) को संपन्न हुआ। इस मेले हेतु कुल अवमुक्त धनराशि 1,152.20 करोड़ थी जबकि व्यय की गई राशि 1,017.37 करोड़ थी अर्थात अप्रयुक्त राशि 1,34.83 करोड़ की थी।

इस पर भारत सरकार से प्राप्त राशि 800 करोड़ को राज्य सरकार ने अपने राज्यांश की पूर्ति कर ली। कुंभ मेले में केंद्रांश की राशि 1,141.63 करोड़+(99 प्रतिशत) थी। राज्यांश की राशि मात्र 10,57 करोड़ (1 प्रतिशत) थी।

महत्वपूर्ण है कि राशि अवमुक्त करने और कार्यों की पूर्ति करने में विलंब 67 से 375 दिन का रहा। प्रदेश सरकार द्वारा व्यय की गई राशि 1,017.37 करोड़ के विरुद्ध 969.17 करोड़ का उपभोग प्रमाण पत्र नहीं दिया गया।

3.61 करोड़ से दो घाट का निर्माण तथा 5.11 करोड़ से पुलिस छात्रावास का निर्माण, जो कि महाकुंभ मेले के लिए नहीं था और उनका उपयोग नहीं हुआ। मेला प्रारंभ होने की दिनांक को मात्र 59 प्रतिशत निर्माण कार्य पूर्ण और 19 प्रतिशत कार्य आपूर्ति (सप्लाई) के पूर्ण किए गए।

111 कार्य मे से 81 कार्य बिना तकनीकी स्वीकृति और औचित्य परीक्षण के किए गए। 9.01 करोड़ की सामग्री और उपकरण अधिक क्रय किए गए। यातायात पुलिस, अग्निशमन और जल पुलिस में मानक के अनुरूप आवश्यक मानव शक्ति में 10 प्रतिशत से 100 प्रतिशत तक की कमी थी। मेला क्षेत्र से बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन पर भी व्यावहारिक और प्रभावी उद्घोषणा व्यवस्था नहीं थी।

सीसीटीवी कैमरे लगे जरूर थे किंतु आपस में जुड़े नहीं थे। दुर्घटना होने का यह भी बड़ा कारण था। मेले में 67 अग्नि दुर्घटना लेकिन अग्निशमन व्यवस्था 77 प्रतिशत अनुपस्थित, एम्बुलेंस व्यवस्था 60 प्रतिशत अनुपस्थित तथा एमरजेंसी लाइट की व्यवस्था 100 प्रतिशत अनुपस्थित थी। सड़क निर्माण के 111 काम में से 65 कार्य जून 2013 तक समाप्त नहीं हुए थे जबकि मेला 10 मार्च 2013 को समाप्त हो गया था।

नगर निगम द्वारा निर्मित होने वाली 35 सड़कों में से 26.64 करोड़ की 4 सड़कों का कार्य प्रारंभ ही नहीं हुआ। दवाओं सहित सभी खरीद में मनमानी स्वेच्छाचारिता भरपूर हुई।

93 ट्रैक्टरों का पंजीकरण हुआ। उसमें से 9 ट्रैक्टरों की पंजीकरण संख्या मोटरसाइकल, स्कूटर, ऑटो रिक्शा, खुले ट्रक एवं बसों की निकली। उपरोक्त अनियमितताएं तब हुई, जब उत्तरप्रदेश सरकार के सबसे सशक्त तथा कुशल प्रबंधन के लिए अपनी पीठ स्वयं थपथपाने वाले मंत्री आजम खां मेले के प्रभारी थे।

भाजपा नेता का कहना है कि उल्लेखनीय यह भी है कि किसी भी मुख्य स्नान के दिन प्रभारी मंत्री इलाहाबाद नहीं गए और सीमा तो तब पार हो गई, जब मौनी अमावस्या के दिन इलाहाबाद रेलवे जंक्शन पर घटी भयंकर दुर्घटना पर भी अपनी धार्मिक कट्टर सोच के कारण नहीं गए।

सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में दुर्घटना का कारण विभागों के आपसी समन्वय का अभाव बताया है। ज्ञातव्य हो कि मुजफ्फरनगर के प्रभारी मंत्री आजम खां थे और वहां हुए बड़े भीषण दंगे के बाद भी मुजफ्फरनगर नहीं गए थे।

सीएजी की टिप्पणी उसी कुंभ मेले को लेकर है जिसके कथित कुशल प्रबंधन का ढिंढोरा पीटने मुख्यमंत्री और आजम खां ने अमेरिका जाने की योजना बनाई थी और वे जाने से वंचित रह गए थे।

भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्या ने नियम 56 विधानसभा से अचानक वापस लेकर यह साबित कर दिया कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं, क्योंकि सूचना देते समय वे यह भूल गए थे कि कैग की रिपोर्ट बहुजन समाज पार्टी की सरकार के कार्यकाल के स्मारक घोटाले की भी है।

उल्लेखनीय है कि स्मारक घोटाले में भी कैग ने इसी तरह के सवाल उठाए थे। भाजपा नेता ने बताया कि बसपा के स्मारक निर्माण की मूल योजना 943.73 करोड़ की थी जबकि योजना पूरी हुई 4558.01 करोड़ रुपए में। योजना में 3614.28 करोड़ की अभूतपूर्व वृद्धि हुई। इसका कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री की सामंतवादी सोच के कारण बार-बार डिजाइन में बदलाव और हुए निर्माण को तोड़ना था।

कैग ने जाहिर किया था कि स्मारक स्थल पर लगाए गए पेड़ सामान्य से 1329 प्रतिशत के अधिक रेट पर खरीदे गए तथा पर्यावरण नियमों के विपरीत 44.23 प्रतिशत भू-भाग पर पत्थर का काम किया गया। दलितों और कमजोर वर्ग के प्रति कागजी समर्पण दिखाने वाली मुख्यमंत्री ने इन स्मारकों के शिलान्यास पर मात्र 4.25 करोड़ रुपया व्यय किया था।

जिस निर्माण एजेंसी (उप्र निर्माण निगम) ने इन घोटालों को करने में अग्रणी भूमिका निभाई उस पर सरकार की इतनी महती अनुकंपा थी कि वित्तीय स्वीकृत 4558.01 करोड़ का 98.61 प्रतिशत पहले ही आवंटित कर अवमुक्त कर दिया था।

भाजपा नेता बाजपेई ने बताया कि उनकी पार्टी का मत है कि विधानसभा की नियमावली के अनुसार लोक लेखा समिति कैग की रिपोर्ट पर विचार करेगी। सामान्यत: 5 से 8 वर्ष की जांच का समय लगेगा, तब तक न भ्रष्टाचार करने वाली सरकार रहेगी और न मंत्री/नेता रहेंगे और न ही भ्रष्टाचार करने वाले ये अधिकारी रहेंगे।

तब क्योंकि इस मेले में केंद्रांश 1,141.63 करोड़ (99 प्रतिशत) है व राज्य सरकार का मात्र 1 प्रतिशत है तब यदि राज्य सरकार ईमानदार है तो उपरोक्त दोनों घोटालों (स्मारक घोटाला बसपा सरकार-कुंभ घोटाला सपा सरकार) की जांच सीबीआई से कराने की सहमति केंद्र सरकार को भेजे।