पंजाब में जीत का झंडा गाड़ने के बाद आम आदमी पार्टी ने गुजरात की तरफ अपने कदम बढ़ा दिए। 'आप' के लिए गुजरात फतह करना पंजाब की तरह आसान होगा या नहीं, अभी ये स्थिति सामने आना है। उसे इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि पंजाब में जहां विपक्ष बिखरा था, कांग्रेस आपसी गुटबाजी की शिकार थी, तो वहीं गुजरात में उनका मुकाबला भाजपा के मजबूत संगठन से होगा। प्रधानमंत्री का गृह राज्य होने के नाते यहां के मतदाताओं में उनके प्रति विशेष आग्रह भी आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा सकता है।
दिल्ली में दोबारा सत्ता में आने के बाद पंजाब में अपनी सरकार बनने से उत्साहित आम आदमी पार्टी (आप) अब गुजरात में 27 साल से सत्ता में जमी भारतीय जनता पार्टी को मात देने की तैयारी में हैl
यदि 'आप' ऐसा कर पाती है, तो 'आप' गुजरात के इतिहास में वह पहली तीसरी पार्टी होगी, जो कांग्रेस और भाजपा के इतर राज्य में सरकार बनाएगी!
दिल्ली में लगातार दूसरी बार भाजपा को शिकस्त दे कर सत्ता में आई 'आप' पार्टी ने अपने दिल्ली मॉडल की कामयाबी को अन्य राज्यों में भी अपनाने की कोशिश की और उसे पहली सफलता भी मिली।
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की थी कि उनकी पार्टी सन 2022 में हुए पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, गोवा, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल और गुजरात के चुनाव में शिरकत करेगीl
पांच राज्यों के चुनाव में उसने अपनी किस्मत भी आजमाई और पंजाब में वह सरकार में भी आ गई। दो बार दिल्ली फतह करने के बाद पंजाब के झोली में आने से आम आदमी पार्टी का जोश आसमान पर है।
इसी सफलता के चलते अब 'आप' पार्टी गुजरात के होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के सामने चुनौती बनकर मैदान में आने को आतुर हैl 'आप' का मानना है कि गुजरात में वह सभी 182 सीटों पर पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ेगी।
पंजाब की तरह उन्हें यहाँ भी आशा है कि 'आप' यहाँ भी सरकार बनाकर एक नया इतिहास लिखेगी l पार्टी नेताओं का मानना है कि अब गुजरात की जनता बदलाव चाहती है। कांग्रेस बदलाव देने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि कांग्रेस भाजपा को यहां पर नहीं हरा सकती। गुजरात में भाजपा को सिर्फ 'आप' ही हरा सकती है।
'आप' ने फरवरी 2021 के गुजरात स्थानीय निकाय चुनावों में अपनी विजय की शुरुआत कर दी थी l अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, राजकोट, भावनगर और जामनगर नगर निगम के चुनाव में 'आम आदमी पार्टी' ने मैदान पकड़ा और पार्टी ने सूरत में 27 सीट जीतकर अपनी मौजूदगी दिखाईl
अक्टूबर 2021 में गांधीनगर नगरपालिका का भी चुनाव लड़ा और और एक सीट जीती। इन 6 नगर निगमों में पार्टी का कुल वोट शेयर 13.28% था। इस जीत को अपना आधार मान और हाल ही में पंजाब में जनता के सहयोग से सत्ता में आई 'आम आदमी पार्टी' को यकीन है कि वो पिछले 27 साल से सतारूढ़ भाजपा सरकार की एंटी काम्बेंसी का फायदा उन्हें मिलेगा और वह भाजपा का विक्ल्प बनकर उभरेगीl
अरविन्द केजरीवाल ने पंजाब के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ गुजरात का दौरा भी किया और कुछ बागी नेताओं से मुलाक़ात भी की। अरविन्द केजरीवाल ने यहां पार्टी की रैली में जिस सादगी से लोगों से कहा कि मुझे राजनीति करना नहीं आतीl न मैं कांग्रेस और न भाजपा को हराने आया हूंl
मैं तो गुजरात और गुजरातियों को जिताने आया हूंl पंजाब में दस दिनों में हमारे मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भ्रष्टाचार को खत्म किया हैl हम यहां भी भ्रष्टाचार को खत्म करेंगेl
केजरीवाल ने गुजरात में जिन नेताओं से मुलाकात की उनमें कांग्रेस के दो असंतुष्ट नेता भी शामिल हैं। केजरीवाल के अगले दौरे पर आम आदमी पार्टी और बड़े रोड शो की तैयारी कर रही है। अरविंद केजरीवाल ने अहमदाबाद के शाहीबाग इलाके स्थित स्वामी नारायण संप्रदाय के मंदिर के दर्शन किए थे। इस संप्रदाय के अनुयायी गुजरात में राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पाटीदार समुदाय हैं।
केजरीवाल का गुजरात की जनता को संबोधन सीधे -सीधे राज्य की भाजपा सरकार को भ्रष्ट साबित करते हुए जनता से उसे बदलने का आह्वान माना जा रहा है। यह समय ही बता पाएगा कि केजरीवाल का यह आह्वान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के गृह राज्य में कितना असर दिखाएगा।
दिल्ली और पंजाब के बाद 'आम आदमी पार्टी' तीसरे राज्य में कामयाब होकर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हांसिल करने की और एक कदम और बढाने में कामयाब हो पाती है या नहींl इसका निर्णय गुजरात की जनता को करना हैl गुजरात के बाद हिमाचल प्रदेश के चुनाव में भी आप मैदान पकड़ने को तैयार हैl केजरीवाल यहां भी एक बार अपने दल के लिए मौका मांग रहे हैंl हालांकि, पांच राज्यों के समपन्न चुनाव में 'आप' पंजाब के अलावा किसी भी राज्य में कोई करिश्मा नहीं कर पाईl
उल्लेखनीय है कि कोई भी दल जिसे चार राज्यों में प्रादेशिक (क्षेत्रीय दल) का दर्जा प्राप्त होता है, उस दल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल होता है। कोई दल तीन अलग-अलग राज्यों को मिलाकर लोकसभा की 2 फीसदी सीटें जीतती है। यानी कम से कम उसे 11 सीटें जीतना जरूरी होता है! लेकिन, यह 11 सीटें किसी एक राज्य से न होकर तीन अलग-अलग राज्यों से होनी चाहिए।
इसके अलावा यदि कोई पार्टी 4 लोकसभा सीटों के अलावा लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार राज्यों में 6 फीसदी वोट हासिल करती है तो उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल सकता है। इनमें से किसी एक शर्त को पूरा करने वाले दल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल होता है।
गुजरात में 'आम आदमी पार्टी' की नजर नंबर-2 की लड़ाई पर है। उसकी कोशिश है कि वह गुजरात चुनाव में कम से कम इतनी सीटें हासिल कर ले कि प्रमुख विपक्षी दल का दर्जा मिल जाए। इसके लिए उसे कांग्रेस से ज्यादा सीटें लानी होंगी। यही वजह है कि आम आदमी पार्टी गुजरात के पटेल समुदाय, किसान समुदाय, नाराज व्यापारी वर्ग और यूपी-बिहार से गुजरात गए प्रवासियों से संपर्क कर रही है। पार्टी को उम्मीद है कि यह वर्ग उनके लिए मददगार साबित हो सकता है।
(आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी अनुभव हैं, वेबदुनिया से इसका कोई संबंध नहीं है।)