शम्मी कपूर, भारत का ऐल्विस प्रेस्ली... रूपहले पर्दे का ऐसा सितारा, जिसने अदभुत अभिनय क्षमता से भारतीय दर्शकों का बेपनाह प्यार लूटा। शम्मी कपूर की आंखों की उजली चमक ने ना जाने कितनी भारतीय कन्याओं की रातों की नींद चुराई। अपने किरदार की नस-नस में समा जाना उनकी विलक्षण प्रतिभा का उदाहरण कहा जा सकता है।
जब उन्होंने पर्दे पर गाया : मैं हूं वो झोंका मस्त हवा का संग तुम्हारे बहता रहूंगा..। तब खुद हवा के झोंके की तरह बहते-मचलते दिखाई देते और दर्शक आह भर कर रह जाता।
कभी लंबी टोपी पहन कर शैतानी करते तो कभी कंबल लपेट कर फुदकते, कभी पहाडियों से लुढ़कते याहू चिल्लाते तो कभी विचित्र शक्लों से हीरोईन को चिढ़ाते इस अभिनेता की हर अदा अनूठी, हर बात निराली थी। गानों के एक-एक बोल को आत्मसात कर अपना 100 प्रतिशत देना इस गोरे चिट्टे बांके-सजीले अभिनेता की खास विशेषता कही जाती थी।
शम्मी जब पर्दे पर अभिनेत्री की आंखों में आंखें डालकर देखते तब दर्शक दीर्घा में कितनी ही बालाएं उस गहराई को अपनी आंखों से दिल तक महसूस करती। शम्मी की आंखों, उसमें छुपे भावों और महज आंखों से व्यक्त संवाद अदायगी पर एक पूरा आलेख तैयार हो सकता है।
शम्मी की चमकीली आंखों का जादू बाद के कई अभिनेता की आंखों में तलाशा गया मगर वह बात नहीं बनी। यहां तक कि कपूर खानदान के स्व. राजीव कपूर में उनकी छवि तलाशी गई लेकिन तलाश नाकाम रही। स्व. राजीव ने शम्मी की तरह उछलने-कूदने की कोशिश भी की लेकिन शम्मी की शानदार चमक लाना तो दूर बतौर 'सामान्य' अभिनेता भी वह नहीं चल सके।
शम्मी जिस दौर में फिल्मों में आए, तब राज कपूर की मासूमियत और सधा हुआ अभिनय दर्शकों के दिल-दिमाग पर छा चुका था। लेकिन शम्मी ने अल्हड़-रोमांटिक अभिनेता की जो छवि निर्मित की, इससे उस समय के युवाओं को बड़ी संख्या में थिएटर तक लाने में खासी मदद मिली। हालांकि शुरुआती दौर में उन्हें असफलता का स्वाद भी चखना पड़ा। लगातार 14 फिल्मों की असफलता किसी भी कलाकार को तोड़ सकती है लेकिन शम्मी की शोखी हर फिल्म में बढ़ती ही रही।
बाद में एक बिगड़े दिल शहजादे की भूमिका में तो शम्मी ऐसे फिट हुए कि लगातार कई फिल्मों में उन्होंने मिलती-जुलती अदायगी की। शम्मी का जादू ही था कि फिल्में फिर भी नहीं पिटी। उम्र के 78 साल गुजारने के बाद खुद शम्मी ने एक साक्षात्कार में यह स्वीकारा था कि उन्होंने ऐसी जिंदगी जी, जो सचमुच एक राजकुमार की तरह होती है।
फिल्म जीवन ज्योति (1953) से करियर शुरू करने के पहले शम्मी अपने पिता के साथ थिएटर में काम किया करते थे। जीवन-ज्योति बॉक्स आफिस पर बुरी तरह पिट गई। 1957 में आई फिल्म तुम सा नहीं देखा ने शम्मी को पहचान तो दी लेकिन मनचाही सफलता 'जंगली से मिली।
शम्मी और सायरा बानू अभिनीत जंगली(1961) ने बॉक्स आफिस को हिला कर रख दिया, और शम्मी रातोंरात स्टार बन गए। शम्मी ने अपने जमाने की हर सितारा अभिनेत्री सुरैया, मधुबाला, नूतन, आशा पारिख, मुमताज, साधना, शर्मीला टैगोर, हेमा मालिनी व कल्पना के साथ हिट फिल्में दीं।
जब पर्दे पर वे थिरके- बार-बार देखो, हजार बार देखो, ये देखने की चीज है हमारी दिलरूबा, तो यकीन मानिए कि थिएटर में युवा मस्ती में झूमने लगते। इस गाने के संगीत की खूबी अपनी जगह है लेकिन शम्मी ने अपने आप को जिस तरह से झिंझोड़ कर रख दिया, उससे गाने की सफलता का सारा श्रेय उनकी झोली में चला गया। आज भी शादियों में बारात का यह चहेता गाना है।
यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि शम्मी को डांस नहीं आता था, उनका बिंदास मस्ती से झूमना ही उनकी डांस स्टाइल बन गया।
जब शम्मी फिल्म 'कश्मीर की कली' में शर्मीला को लुभाते गाते - 'दीवाना हुआ बादल...तो उनके बदन की लोच से अधिक नशीली आंखों की शरारत दर्शकों को दीवाना बना देती है। इसी फिल्म के एक गाने-'ये चांद-सा रोशन चेहरा, जुल्फों का रंग सुनहरा' में वे नायिका की तारीफ करते हुए इस कदर मदहोश हो जाते हैं कि नायिका खीज उठती है, पर इस सब से बेपरवाह शम्मी झूमते रहते हैं और अन्तत: नाव से नदी में गिर पड़ते हैं। तब दर्शकों की हंसी नहीं रूकती। शम्मी को भारत का ऐल्विस प्रेस्ली कहा जाता था।
शम्मी कपूर ने 1990 में निर्देशक तापस पाल की बांग्ला फिल्म पारापार में भी काम किया था। शम्मी को ब्रह्मचारी के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जबकि विधाता के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के पुरस्कार से नवाजा गया।
वर्ष 1995 में उन्हें लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया गया। उन्होंने अपने समय की लोकप्रिय अभिनेत्री गीता बाली से शादी की। गीता के दुनिया से बिदा होने के बाद नीला देवी उनकी जीवन-संगिनी बनीं।
उनके बेटे आदित्य राज कपूर फिल्म प्रोड्यूसर हैं। बेटी कंचन, मनमोहन देसाई के बेटे केतन देसाई की पत्नी हैं। इंटरनेट के शम्मी दीवाने रहे। एक बार ट्विटर पर उन्होंने अभिनेत्री दीपिका को चाय पर बुलाया और चर्चा का विषय बन गए थे। 14 अगस्त 2011 को शम्मी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया लेकिन दिल के झरोखे में उनको बैठा कर यादों को उनकी हम दुल्हन बना कर रखेंगे दिल के पास....
शम्मी के सदाबहार गीत
* यूँ तो हमने लाख हसीं देखे हैं, तुमसा नहीं देखा
* तुम मुझे यूँ भूला न पाओगे
* जनम जनम का साथ है
* एहसान तेरा होगा मुझ पर
* इस रंग बदलती दुनिया में
* लाल छडी मैदान खडी
* ऐ गुलबदन,
* चाहे कोई मुझे जंगली कहे
* सर पे टोपी लाल हाथ में रेशम का रुमाल
* है दुनिया उसी की ज़माना उसी का
* जवानियाँ ये मस्त मस्त बिन पिए
* सवेरे वाली गाडी से
* दीवाना मुझ सा नहीं,
* खुली पलक में झुठा गुस्सा
* दिल देके देखो