जून 2023 से दुनियाभर में गर्मी के कई रिकॉर्ड टूटने-बनने के बाद मौसम वैज्ञानिकों को आशा है कि अब जल्द ही मौसम करवट बदलेगा। कहीं आग, तो कहीं बाढ़ का तांता टूटेगा। तापमान बढ़ाने वाली अब तक की मौसमी प्रघटना 'एल नीन्यो' (El Niño) के बाद अब उसकी बहन 'ला नीन्या' (La Niña) का शुभागमन होगा। 'ला नीन्या' के साथ ठंडक आएगी, भले ही इसका यह मतलब नहीं है कि उसके आने से वैश्विक जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली दीर्घकालिक गरमाहट में कोई रुकावट पड़ेगी।
स्विट्ज़रलैड के जिनेवा में स्थित विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) का यही मानना है कि 'ला नीन्या' अपने साथ ठंडक लाएगी। 'एल नीन्यो' के दिन अब बीतने वाले हैं।
'एल नीन्यो' बना रिकॉर्ड तापमानों का कारण : 'एल नीन्यो' के कारण 2023 के मध्य से दुनियाभर में रिकॉर्ड तापमान दर्ज किए गए और मौसम अपने चरम पर पहुंचने लगा। उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के बीच की पनामा नहर का जल स्तर इतना गिर गया कि 200 मालवाही जहाज़ फंस गए। अफ्रीका में ज़ाम्बिया, ज़िम्बाब्वे और मलावी को अपने यहां आपात स्थिति घोषित करनी पड़ी।
हर 3 से 7 साल पर 'एल नीन्यो' अपना कहर ढाता है और आमतौर पर एक से दो साल तक उसका तांडव चलता है। इस बीच, जलवायु परिवर्तन के कारण उसका आतंक और अधिक समय तक चलने की आशंका है। WMO के अनुसार, अब आने वाले महीनों में 'ला नीन्या' की कृपा से मौसम ठंडा होने की उम्मीद है। मानवजनित जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप दीर्घकालिक वैश्विक तापमानवर्धन में हालांकि इससे कोई अंतर नहीं पड़ेगा, कहना है इस संयुक्त राष्ट्र संस्था का।
क्या है एल नीन्यो : एल नीन्यो स्पेनी भाषा का एक शब्द है, अर्थ है लड़का, बालक। यह शब्द ईसा मसीह (जीसस क्राइस्ट) की उस अवस्था के लिए गढ़ा गया था, जब वे एक शिशु या बालक हुआ करते थे- कुछ उसी तरह, जिस तरह भगवान कृष्ण के बाल्यकाल में उन्हें प्यार से पुकारने के कई नाम हुआ करते थे।
लेकिन लैटिन अमेरिकी देश पेरू के मछुआरों ने 'एल नीन्यो' नाम से उस असामान्य मौसमी प्रघटना को भी पुकारना शुरू कर दिया, जो वहां आमतौर पर क्रिसमस के समय अनुभव की जाती रही हैं। अपने ठंग की यह अनूठी मौसमी प्रघटना हर तीन से चार साल में देखने में आती है और लगभग नौ से बारह महीनों तक चलती है। वह न केवल दक्षिणी प्रशांत महासागर वाले क्षेत्र में समुद्र की ऊपरी सतह के पानी के गर्म होने का कारण बनती है, बल्कि वैश्विक तापमान में भी अल्पकालिक वृद्धि और मौसमी प्रकोप की भी उसे चरम सीमा तक बढ़ाने में भूमिका होती है।
ला नीन्या लाएगी ठंडक : 'एल नीन्यो' से उलटा है 'ला नीन्या' का स्वभाव। अर्थ है लड़की, बालिका। 'एल नीन्यो' का प्रभाव घटने पर 'ला नीन्या' का प्रभाव बढ़ने लगता है। हवा, बारिश और हवा के दबाव में बदलाव के साथ प्रशांत महासागर के एक बड़े हिस्से में समुद्र की ऊपरी सतह के ठंडा होने को 'ला नीन्या' नाम दिया गया है। कई क्षेत्रों में, विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में 'एल नीन्यो' का प्रभाव घटने और 'ला नीन्या' का प्रभाव बढ़ने से समुद्री पानी का तापमान कुछ कम होता है, गर्मी से कुछ राहत मिलने लगती है।
WMO के अनुसार, 'ला नीन्या' के मौसमी प्रभाव की संभावना जुलाई और सितंबर के बीच 60 प्रतिशत तथा अगस्त और नवंबर के बीच 70 प्रतिशत तक हो जाती है। इस दौरान समुद्र की ऊपरी सतह के गर्म होने और उसके साथ ही 'एल नीन्यो' की सक्रियता बढने की संभावनाएं बहुत कम हो जाती हैं।
2023 मानव इतिहास का सबसे गर्म वर्ष था। पूर्वी प्रशांत महासागर वाले क्षेत्र में 'एल नीन्यो' की सक्रियता बहुत बढ़ गई थी। समुद्री तापमान दर्ज करने के अब तक के पूरे इतिहास में इसी कारण 2023 अब तक का सबसे गर्म वर्ष रहा है। पिछले साल जून में 'एल नीन्यो' के सक्रियता-चरण की शुरुआत के बाद से दुनियाभर में हर महीने तापमानों के नए रिकॉर्ड दर्ज किए जाने लगे। 2023 सबसे गर्म वर्ष साबित हुआ। WMO के अनुसार, 2023 का 'एल नीन्यो' पिछले दिसंबर महीने में अपने चरम पर था। अब तक दर्ज किए गए पांच सबसे ऊंचे तापमानों में से एक था।
जलवायु परिवर्तन रुकेगा नहीं : WMO का मानना है कि हमारी दुनिया में कोयले, गैस और तेल जैसे जिन जीवाश्म ईंधनों का अब भी धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है, उसके चलते वैश्विक तापमान में वृद्धि होती रहेगी। हम सरकारों को कोसते रहेंगे, पर अपनी गिरेबां में नहीं झांकेंगे। ईंधनों को फूंकने-जलाने में कमी नहीं लाएंगे। पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें बढ़ने पर शोर मचाएंगे, दंगें-फ़साद और हड़तालें करेंगे।
WMO के उप महासचिव को बैरेट ने चेतावनी दी कि 'एल नीन्यो' के फ़िलहाल अस्त होने का मतलब दीर्घकालिक जलवायु परिवर्तन में रुकावट नहीं है, क्योंकि गर्म होती ग्रीनहाउस गैसों के कारण हमारा ग्रह आगे भी गर्म होता रहेगा। WMO इसीलिए 2027 तक दुनियाभर में चरम गर्मी के मौसम की चेतावनी देने वाली प्रणाली स्थापित करने पर ज़ोर दे रहा है।